
प्रतीकात्मक फोटो: PC: AI
'मां…देख, आज मैं जिंदा हूं। जिन फरिश्तों ने मुझे बचाया, उन्होंने साबित कर दिया कि मेरी किस्मत तूने नहीं लिखी। तूने मुझे झाड़ियों में छोड़ दिया था, लेकिन मैंने तेरी तरह हार नहीं मानी। नन्ही-सी जान थी, फिर भी मैं लड़ती रही…रोती रही…ताकि कोई मुझे सुन ले।' अगर यह मासूम बोल पाती, तो शायद यही कहती।
अब मैं सीएचसी में भर्ती हूं और पूरी तरह सुरक्षित हूं। मां, तूने मुझे कब झाड़ियों में छोड़ा, यह तो याद नहीं… लेकिन उस दर्द की चीखें अभी भी मेरे भीतर गूंज रही हैं। शायद उसी दर्द की वजह से दोपहर में वहां से गुजरने वाले लोगों ने मेरी सिसकियां सुन लीं और पुलिस को सूचना दी।
अस्पताल वाले मुझे उठाने आए। मेरी हालत देखकर उनकी आंखें भी भर आईं। जो झाड़ियों तुझे रोक नहीं पाईं, वहीं से उन्होंने मुझे गोद में उठाया, कपड़े में लपेटा और अस्पताल पहुंचाया। सब तुझे कोस रहे थे… और मैं? मैं बस रोती रही ताकि लोग मेरी तरफ ध्यान दें। वरना शायद कोई मुझे फिर अनसुना कर देता। अब मैं स्वस्थ हूं। मेरा अगला ठिकाना क्या होगा, ये मुझे नहीं पता…पर इतना जानती हूं कि वह किसी भी हाल में उन झाड़ियों से बेहतर ही होगा, जहां तू मुझे छोड़कर चली गई थी।
मामला बाह सीएचसी का है। जानकारी के मुताबिक, सोमवार की दोपहर करीब 1:45 बजे परिसर में स्टोर रूम के पीछे झाड़ियों में नवजात के रोने की आवाज सुनाई दी। स्वास्थ्यकर्मी पहुंचे और चच्ची को उठाकर प्रसव कक्ष में लेकर गए। झाड़ियों में फेंके जाने से शरीर में कांटे चुभ गए थे, जिससे घाव हो गए थे। बच्ची की नाल भी नहीं कटी थी।
उसका उपचार किया गया। फिलहाल, अस्पताल के एनबीएसयू वार्ड में भर्ती है। रेडिएंट वार्मर में रखा गया है। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। अस्पताल प्रशासन की सूचना पर पहुंची बाह पुलिस ने नवजात को झाड़ियों में फेंके जाने की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि अस्पताल और आसपास की सीसीटीवी फुटेज देखी जा रही है।
Updated on:
18 Nov 2025 10:57 am
Published on:
18 Nov 2025 09:55 am
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