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जिनवाणी सिखाती है सदाचार : आचार्य सुनील सागर

गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन अहमदाबाद. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने सोमवार को कहा कि जिनवाणी सदाचार सिखाती है। गूगल सारी दुनिया का रास्ता दिखा सकता है, लेकिन इंसान से भगवान बनने का रास्ता सिर्फ जिनवाणी ही दिखाती है।गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आचार्य ने कहा कि गूगल तो फिर […]

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गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन

अहमदाबाद. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने सोमवार को कहा कि जिनवाणी सदाचार सिखाती है। गूगल सारी दुनिया का रास्ता दिखा सकता है, लेकिन इंसान से भगवान बनने का रास्ता सिर्फ जिनवाणी ही दिखाती है।
गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आचार्य ने कहा कि गूगल तो फिर भी धोखा दे सकता है, लेकिन शास्त्र-धर्म कभी धोखा नहीं देता। जिनवाणी में जो कुछ मार्ग बताया है, उस पर चलने वाले मंजिल तक जरूर पहुंचते हैं। इसलिए गूगल पर अविश्वास कर लेना, लेकिन जिनवाणी पर अविश्वास मत करना।
उन्होंने कहा कि बहुत लोग हैं जो गूगल से भटके हुए है, गूगल के इशारे से चल रहे थे, जीपीएस से सड़क पर चल रहे थे और समुद्र में पहुंच गए। इसलिए आधुनिक विज्ञान पर उपकरणों पर भले ही भरोसा मत करिए लेकिन प्राचीनतम जैन शासन पर हमेशा भरोसा करें।
आचार्य ने कहा कि सर्वज्ञ वाणी से आया हुआ मार्ग है, वह कल्याणकारी है। ये अमृत है, अमृत कभी किसी ने देखा नहीं है ,लेकिन जिसने जिनवाणी का तत्व का अभ्यास किया और अपने अमर तत्व स्वरूप को जाना, उसने अमृत को जरूर देखा है अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि जिनवचन तो औषधि के समान है। जिनवाणी से तो जन्म जरा मृत्यु रूपी व्याधि का नाश होता है और सब दुखों का नाश होता है। स्वाध्याय से बड़ा तप न तो था, न ही कभी होगा। स्वाध्याय को अमृत कहा गया है। जो स्वाध्याय करते हैं, उनकी ही भक्ति सच्ची होती है।
आचार्य ने कहा कि संसारी लोगों के जो सुख-दु:ख हैं, ये सब कल्पना मात्र ही हैं। इसलिए स्वाध्याय से अपने आप को जानो और अपने भगवान और भगवान आत्मा को जानो, जीवन में शांति और सुकून रहेगा। जब स्वाध्याय में चित्त लगता है तो उसकी स्थिरता अद्भुत होती है। दुनिया में बहुत शास्त्र हैं, लेकिन हर कोई शास्त्र स्वाध्याय के योग्य नहीं है। जिसमें वीतरागता की बात हो, अहिंसा, सदाचार की बात हो, ये सब हमें जिनवाणी सिखाती है।