गांधीनगर. जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार को अनासक्त व धर्मनिष्ठ रहने का संदेश दिया। उन्होंने कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में चातुर्मास के तहत आयारो आगम पर आधारित प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि साधु जीवन में वस्त्र, पात्र आदि उपकरणों के प्रति अनासक्ति और निज धर्म में दृढ़ता अत्यंत आवश्यक है। मोह और आसक्ति साधुता में बाधक बनते हैं, अतः साधु को इनसे दूर रहकर अनासक्ति की भावना को सुदृढ़ करना चाहिए।
उन्होंने विहार की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साधु को एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रुकना चाहिए। जैसे बहता जल स्वच्छ रहता है, वैसे ही स्थान-स्थान पर रमण करने वाला साधु शुद्ध साधु होता है। आचार्य ने गृहस्थों को भी धर्म के प्रति दृढ़ता और अनासक्ति की दिशा में प्रयासरत रहने का संदेश दिया।
इस अवसर पर आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के अंतर्गत अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की ओर से आयोजित जप अनुष्ठान कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण ने जप कराया। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा, मण्डल की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुमन नाहटा, समणी कुसुमप्रज्ञा व विपुलप्रज्ञाजी ने भी विचार व्यक्त किए।
Published on:
17 Oct 2025 11:31 pm
बड़ी खबरें
View Allअहमदाबाद
गुजरात
ट्रेंडिंग