
अहमदाबाद. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने गुरुवार को कहा कि स्व-मूल्यांकन से ही जीवन का उत्थान होता है।
गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन में आचार्य ने आत्म-मंथन और स्व-मूल्यांकन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुखी व्यक्ति वह है जो सदा दूसरों का मूल्यांकन करता है, क्योंकि दूसरों का मूल्यांकन करने से केवल निराशा और हताशा ही हाथ लगती है।उन्होंने कहा कि जीवन में यदि मनुष्य स्वयं का मूल्यांकन करना सीख ले, अपने गुणों को पहचान ले, तो वह सिद्धों की श्रेणी में स्थान पा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन दूसरों की गणित लगाने के लिए नहीं है, बल्कि स्वयं की सुधार यात्रा के लिए है। जब हम अपनी कमियों और गुणों पर ध्यान देते हैं, तो जीवन स्वतः ही सही मार्ग पर अग्रसर हो जाता है।
आचार्य ने कहा कि दूसरों के कर्मों पर विचार करने से बेहतर है कि हम अपने कर्मों पर ध्यान दें। जब व्यक्ति स्वयं का आकलन करने लगता है, तभी वह सही सोच-सही दिशा और सही मंजिल की ओर बढ़ता है, यह वही मार्ग है जो सिद्ध भगवान तक पहुंचाता है।
Published on:
30 Oct 2025 10:39 pm
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