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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गाय का दान कर रहा पशुपालक

-साणंद के गजेंद्रसिंह ने अब तक 50 से ज़्यादा जरूरतमंद किसानों को मुफ्त में दीं गाय-खेती के साथ शुद्ध घी, दूध, गोमूत्र, गोबर के लिए नहीं करनी पड़ती है चिंता

Sanand

Ahmedabad. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अहमदाबाद जिले के एक पशुपालक ने अनूठी पहल की है। साणंद तहसील के विंछिया गांव निवासी किसान एवं पशुपालक गजेंद्रसिंह वाघेला प्राकृतिक खेती करने के लिए आगे आने वाले जरूरतमंद किसानों को गाय दान में दे रहे हैं।

गजेंद्रसिंह बताते हैं कि वे स्वयं पिछले कई वर्षों से केवल प्राकृतिक खेती ही कर रहे हैं। बीते 5-7 वर्षों से वे अहमदाबाद जिला सहित राज्य के अन्य जिलों में किसानों को भी प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जब वे किसानों से मिलते हैं, तो ज्यादातर किसान कहते हैं कि प्राकृतिक खेती करने में उनके लिए सबसे बड़ी समस्या जीवामृत, घनजीवामृत और कीटनाशक बनाने के लिए जरूरी गोबर और गोमूत्र प्राप्त करने की है।

कई किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है, जिससे वे गाय भी नहीं खरीद पाते हैं। इतना ही नहीं एक गाय का दैनिक रखरखाव खर्च भी 125 से 150 रुपए है।कुछ यह खर्च भी नहीं उठा सकते। विशेषकर छोटी बछियों को दूध देने तक पालना भी मुश्किल होता है।

इस समस्या को हल करने के लिए उन्हें विचार आया कि क्यों न वे अपनी गौशाला से मुफ्त में ऐसे किसानों को गाय दें जो प्राकृतिक खेती करने को आगे आते हैं। उन्होंने यह संकल्प लिया और शुरूआत कर दी। वे कहते हैं कि उनकी कोशिश है कि प्राकृतिक खेती करने को आगे आने वाले हर किसान के घर में एक गाय बंध सके। जिससे वह बिना किसी अन्य पर निर्भर रहे अपना और परिवार का पेट पाल सके।

15 साल से गौशाला चला रहे गजेन्द्र सिंह अब तक 50 किसानों को निःशुल्क गाय उपलब्ध करा चुके हैं। अभी उनकी गौशाला में बछड़ों, बछियों सहित 70 गाय हैं।

'गाय को कभी न बेचने' का भी संकल्प

गजेंद्रसिंह अपने पिता और दादा की विरासत को जीवित रखे हैं। वे बताते हैं कि उनके दादा और पिता का एक नियम था कि गाय को कभी बेचना नहीं है। वे भी गाय को बेचते नहीं हैं। अब जरूरतमंद किसान को दान में देते हैं। इससे किसान के गाय का दूध, घी और छाछ उपलब्ध होता है, जिससे उसे लाभ होता है। खेती भी कर सकता है।

गाय बेचें नहीं, न रख सकें तो वापस कर दें

गजेंद्रसिंह अपनी गौशाला से ज़रूरतमंद किसानों को मुफ़्त में गाय तो देते हैं, लेकिन उनसे यह समझौता भी करते हैं कि वे दान में मिली गाय को कभी बेचेंगे नहीं। भविष्य में किसी कारणवश वे इस गाय रखने में असमर्थ हों तो गौशाला को गाय लौटाएंगे। ताकि अन्य जरूरतमंद को वह गाय दी जा सके।