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Patrika sting : चाइनीज मांझे से वो काटा की होड़, कहीं टूट ना जाए सांसों की डोर

शहर में बेरोकटोक बिक रहा चाइनीज मांझा, इंसानों के साथ पक्षियों के लिए भी खतरा

अजमेर

Manish Singh

Aug 08, 2025

चाइनीज मांझे से वो काटा की होड़, कहीं टूट ना जाए सांसों की डोर
चाइनीज मांझे से वो काटा की होड़, कहीं टूट ना जाए सांसों की डोर

केस-1 थमाया कांच चढ़ा मांझा

मूंदड़ी मोहल्ला स्थित पतंग की दुकान पर ग्राहकों की अच्छी खासी भीड़ थी। चाइनीज मांझा मांगने पर दुकानदार ने बरेली के मांझे के नाम पर काले रंग का 450 रुपए कीमत का कांच चढ़ा मांझा थमा दिया।

केस-2 ‘इंडस्ट्रीयल यूज ओनली’

घसेटी बाजार स्थित पतंग की दुकान पर पहुंचने पर काउंटर पर बड़ी संख्या में चाइनीज मांझा रखा मिला। दुकानदार ने औद्योगिक उपयोग में लेने वाला प्लास्टिक मांझा थमा दिया। जिस पर ‘इंडस्ट्रीयल यूज ओनली’ लिखा था।

मनीष कुमार सिंह अजमेर.

रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है, लेकिन शहर में पतंगबाजी के शौकीन चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करके अपनी और दूसरों की सुरक्षा खतरे में डाल रहे हैं। चाइनीज मांझे से गला, कान, हाथ कटने जैसे गंभीर हादसे की आशंका बनी रहती है। पुलिस और प्रशासन ने चाइनीज मांझे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इसके बावजूद शहर में धड़ल्ले से दुकानों पर बिक्री हो रही है।

पत्रिका टीम ने गुरुवार शाम को ग्राहक बनकर पड़ताल की तो बाजार में पतंग बेचने वाले बिना किसी रोक-टोक के धडल्ले से चाइनीज मांझा बेचते मिले। खास बात है कि औद्योगिक इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक का मांझा- डोर भी पतंगबाजी में इस्तेमाल हो रही है। दुकानदार भी पेच लड़ाने के लिए पक्का मांझा मांगने पर चाइनीज व इडियन चाइनिज(कांच चढ़ा) मांझा बेचकर मुनाफा कमा रहे है। बाजार में 200 रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक की चाइनीज मांझे की चरखी धडल्ले से बिक रही है।

चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध

यों तो चाइनीज मांझे के इस्तेमाल पर निषेध है। केसरगंज, घसेटी बाजार, मूंदड़ी मोहल्ला के बाजार में ग्राहकों की डिमांड पर व्यापारी चोरी-छिपे चाइनीज मांझा बेचने से गुरेज नहीं कर रहे। पुलिस व नगर निगम के अधिकारी इससे अनजान बने हुए हैं।

एक्सपर्ट व्यू-प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करें

पतंगबाज़ी हमारी सांस्कृतिक परंपरा का खूबसूरत हिस्सा है, लेकिन सिंथेटिक व कांच पाउडर से लेपित ‘चाइनीज़ मांझा’ ने इस आनंददायक गतिविधि को गंभीर पर्यावरणीय संकट बना दिया है। ये नॉन-बायोडिग्रेडेबल मांझे हर साल उड़ान भरते हज़ारों पक्षियों को घायल या मृत कर देते हैं, साथ ही बच्चों और राहगीरों के लिए भी जानलेवा साबित होते हैं। इनके निर्माण में उपयोग होने वाले रासायनिक तत्व हवा, मिट्टी व जल को प्रदूषित करते हैं। हम पर्यावरण के अनुकूल, प्राकृतिक विकल्पों को अपनाएं व मौजूदा प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करें।

प्रो.प्रवीण माथुर, पूर्व पर्यावरणविद्, मदस विश्वविद्यालय

इनका कहना है...

चाइनिज और कांच लेप के मांझे की बिक्री प्रतिबंधित है। रक्षा बंधन का त्यौहार भाई-बहन का प्रतीत है। पतंगबाजी का आनन्द सादा व साधारण मांझे से भी लिया जा सकता है। चाइनिज मांझे की बिक्री पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।

हिमांशु जांगिड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर