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घरेलू कलह का बदला पैटर्न: पति या पत्नी के अफेयर के कारण टूट रहे रिश्ते, निजी पलों के लीक होने के केस भी सामने आए

International Day for Elimination of Violence Against Women: महिला थाने और वन-स्टॉप सेंटर में आने वाली शिकायतों का पैटर्न पिछले 5 साल में बदल चुका है। पहले जहां पति-पत्नी के बीच झगड़े घरेलू कारणों से होते थे वहीं अब दाम्पत्य जीवन में ‘तीसरे’ की मौजूदगी बड़ी वजह बनकर उभर रही है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर

International Day for Elimination of Violence Against Women: महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर अजमेर का ग्राउंड स्टेटस बताता है कि हालात बदले जरूर हैं, लेकिन खतरा कम नहीं हुआ। घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, साइबर स्टॉकिंग और डिजिटल उत्पीड़न जैसी चुनौतियां पहले से अधिक जटिल रूप में सामने आ रही हैं।

महिला थाने और वन-स्टॉप सेंटर में आने वाली शिकायतों का पैटर्न पिछले 5 साल में बदल चुका है। जहां पहले दम्पती में झगड़े घरेलू कारणों से होते थे वहीं अब दाम्पत्य जीवन में ‘तीसरे’ की मौजूदगी और ऑनलाइन हिंसा नए संकट के रूप में खड़ी है।

अजमेर के महिला थाने में प्रतिवर्ष 225 से 300 प्रकरण दर्ज होते हैं। जबकि वास्तविक शिकायतें 500 से अधिक बताई जाती हैं। थाने और महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र की काउंसलिंग से 50 फीसदी मामले बिना मुकदमे के राजीनामे में बदल जाते हैं। शेष प्रकरण अदालत पहुंचते हैं। थानाप्रभारी सूर्यभान सिंह के अनुसार, दहेज, स्त्रीधन हड़पने और मानसिक प्रताड़ना अभी भी आम शिकायतें हैं।

Ajmer: जिले में दर्ज होते हैं 1200 प्रकरण

अजमेर में महिला थाने सहित जिले के अन्य 30 पुलिस थानों में भी हर साल महिला अत्याचार के करीब 1200 प्रकरण दर्ज होते हैं। 2024 में 1265 प्रकरण दर्ज हुए थे। इसमें 637 में चालान व 524 प्रकरण में एफआर लगाई जा चुकी है। शेष 104 प्रकरण में अनुसंधान किया जा रहा है।

चालू साल में करीब 1150 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। इसमें 439 में चालान व 362 प्रकरण में एफआर है। महिला अत्याचार मामले महिला थाने के बाद केकड़ी सिटी, नसीराबाद सदर, भिनाय, गांधी नगर, सरवाड़ थाने हैं। जहां हर साल 50 से ज्यादा प्रकरण दर्ज होते हैं।

अजमेर के महिला थाने में बीते पांच साल में दर्ज प्रकरण

वर्षदर्ज प्रकरणनिस्तारण
2025225149
2024235228
2023247441
2022306305
2021276276

डिजिटल हिंसा नई चुनौती

अजमेर में महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। अश्लील डीपफेक, अंतरंग फोटो/वीडियो के लीक होने के भी मामले सामने आए। मोबाइल, इंटरनेट व सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव में साइबर बुलिंग, ट्रोलिंग, धमकी, प्रतिरूपण, कैट फ़िशिंग, ऑनलाइन स्टॉकिंग के मामले भी बढ़ रहे हैं।

ऑनलाइन हिंसा कई बार ऑफलाइन हमलों, जबरदस्ती व शारीरिक उत्पीड़न तक पहुंच जाती है। पुलिस भी अब तकनीक का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया निगरानी और साइबर सेल के समन्वय पर जोर दे रही है।

यूं होती है कार्रवाई

राजस्थान पुलिस की ओर से महिला सुरक्षा के लिए जहां डायल 181 या 1090 पर सबसे ज्यादा कॉल घरेलू झगड़ों, ससुराल में प्रताड़ना, मोबाइल पर धमकी व साइबर ब्लैकमेल से जुडे आते हैं। पुलिस मुख्यालय व अभय कमांड सेंटर की टीमें इन शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय पुलिस को फॉरवर्ड करती हैं, जबकि गंभीर मामलों में वन-स्टॉप सेंटर तक सीधे रेफर किया जाता है।

महिला थाने में बढ़ते घरेलू हिंसा व प्रताड़ना के मामलों को देखते हुए महिला अधिकारिता विभाग ‘अपना थियेटर संस्थान’ के जरिए महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र संचालित हैं। लीगल काउंसलर दोनों पक्ष की सुनने के बाद उनके बीच में आ रही दिक्कत पर समझाइश का प्रयास करती हैं।

‘तीसरा कौन’ से बढ़ा तनाव

दाम्पत्य विवादों में अब प्रेम-प्रसंग की भूमिका तेजी से बढ़ी है। कई मामलों में पति या पत्नी के अफेयर के कारण परिवार टूटने के कगार पर पहुंच जाते हैं। काउंसलिंग में सामने आया कि अलग-अलग परिवेश के परिवारों से आए युगल प्रेम विवाह के बावजूद असुरक्षा और हस्तक्षेप का सामना कर रहे हैं।

नीलू कुमारी सेन, लीगल काउंसलर

इनका कहना है….

पारिवारिक कलह की शिकायत पर दोनों पक्षों से समझाइश के प्रयास किए जाते हैं। पुलिस और महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र पर समझाइश की जाती है। दोनों पक्ष के संतुष्ट नहीं होने पर मुकदमा दर्जकर कार्रवाई की जाती है।


सूर्यभान सिंह, थानाप्रभारी महिला थाना, अजमेर