
रोहिंग्या-घुसपैठियों के फर्जी भारतीय आधार बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़। फोटो सोर्स-AI
Crime News: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में STF ने क्वार्सी के जीवनगढ़ इलाके से सरकारी साइटों को हैक कर फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
मामले में ऐसे भी सबूत मिले हैं जिससे पता चलता है कि इस गिरोह ने भारतीय नागरिकों के साथ-साथ रोहिंग्या-घुसपैठियों तक के आधार कार्ड बनाए हैं। देश की कई साइटों को हैक करते हुए नेटवर्क से जुड़े बदमाश फर्जीवाड़ा करते रहे। फिलहाल आरोपियों से मिले 4 लैपटॉप के जरिए उनके 3 साल के डेटा की फॉरेंसिक जांच करवाई जा रही है। इसके लिए लैपटॉप सहित सभी डिवाइस साइबर लैब भेजे गए हैं।
STF लखनऊ यूनिट ने गुरुवार तड़के जीवनगढ़ गली नंबर 12 में संचालित जनसेवा केंद्रों पर छापा मारा। इस कार्रवाई के दौरान संचालक साजिद हुसैन और नईमुद्दीन को दबोचा गया था। इन दोनों और इनके सरगना सहित 3 फरार साथियों पर मुकदमा दर्ज कराकर दोनों को जेल भेज दिया गया।
मामले को लेकर STF के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो पकड़ा गया साजिद पहले आधार बनाने वाली कंपनी में काम करता था। इस दौरान उसके संपर्क उसके साथ के काम करने वाले ऐसे लोगों से हुए, जो पश्चिम बंगाल में भारतीय सीमा पर इसी तरह फर्जीवाड़ा कर आधार कार्ड बनाने का धंधा कर रहे थे। उनके और गुजरात की आधार बनाने वाली कंपनी के अपने परिचित प्रशांत के जरिए ही साजिद दिल्ली के आकाश के संपर्क में आया। पिछले 3 सालों में साजिद ने अपना नेटवर्क अलीगढ़ के साथ-साथ पश्चिमी यूपी के हाथरस, बुलंदशहर, मेरठ, कासगंज, एटा, बदायूं, संभल, अमरोहा, मुरादाबाद और रामपुर समेत अन्य मुस्लिम आबादी वाले जिलों में बनाया। जहां उसे आधार कार्ड बनाने वाले ग्राहक आसानी से मिल सकें।
सूत्रों की माने तो दिल्ली के हैकर सरगना द्वारा साजिद को हर दिन कम से कम 50 आधार कार्ड बनाने का टारगेट मिलता था। इसी के चलते साजिद अपने नेटवर्क के जरिए अपने जिले के साथ-साथ पश्चिमी यूपी के आसपास के जिलों के लोगों तक के आधार कार्ड बनाता था।
मामले को लेकर SP सिटी मृगांक शेखर पाठक का कहना है,'' इस बात से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता कि साजिद और उसके साथी ने अपने दिल्ली के हैकर की मदद से रोहिंग्या और अन्य तरह के घुसपैठियों के आधार कार्ड ना बनाए हों। हालांकि इस बात की पुष्टि बरामद कंप्यूटर सिस्टमों की साइबर विशेषज्ञ से फॉरेंसिक जांच से हो सकेगी। उसमें डेटा के साथ जिन लोगों के कार्ड बने हैं, उनके नंबर निकलवाए जाएंगे। इन्होंने पिछले 3 सालों में कितने लोगों से रुपये लिए हैं, वह भी जांच का आधार होगा।''
Published on:
08 Nov 2025 11:15 am
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