
एनएसजी कमांडो सुनील जोधा की फोटो: पत्रिका
NSG Commando Sunil Jodha Exclusive Interview: 26 नवंबर 2008 को मुंबई में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने ताज होटल सहित कई जगह हमला कर दिया था। इस हमले में कई लोगों की मौत हुई थी। हमारी सेना के जवानों ने बहादुरी दिखाते हुए कई लोगों को बचाया था।
अलवर के मुंडिया खेड़ा गांव निवासी एनएसजी कमांडो सुनील जोधा ने आतंकी हमले को नाकाम करने और ताज होटल में फंसे करीब 40 लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में मुख्य भूमिका निभाई थी। इसके लिए सुनील जोधा को महाराष्ट्र सरकार की ओर से कई बार समानित किया जा चुका है। इन्हें गेलेंट्री अवॉर्ड, ग्लोबल पीस अवॉर्ड सहित कई सम्मान मिले हैं।
सुनील 3 राजपूत बटालियन में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। बाद में एनएसजी कमांडो बन गए। सुनील जोधा की वर्तमान में उदयपुर में पोस्टिंग है। वे अलवर की ईटाराणा छावनी में भी तैनात रह चुके हैं। मंगलवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित आर्मी मेले में शिरकत करने पहुंचे एनएसजी कमांडो सुनील जोधा से पत्रिका ने खास बातचीत की।
मैं एनएसजी कमांडो मुख्यालय पर तैनात था। हमें निर्देश मिले कि तुरंत मुंबई निकलना है। जब हम मुंबई पहुंचे, तब ताज होटल पर आतंकी हमला जारी था। होटल परिसर में चारों तरफ लाशें और जमी लोग पड़े हुए थे। जब हम होटल के दूसरे लोर पर पहुंचे, तो बिजली बंद हो गई। अंधेरा हो गया। अंधेरे में एक कमरा खोला, तो वहां दो आतंकी मौजूद थे, जिनसे हमारी मुठभेड़ हुई। इससे कमरे में आग लग गई और दम घुटने लगा, लेकिन हमने लड़ना जारी रहा।
आतंकवादियों से लड़ाई के दौरान मेरे शरीर में आठ गोलियां लगी, जिसमें से सात गोलियां तो ऑपरेशन से निकल गई लेकिन एक गोली आज भी मेरे सीने के पास लगी हुई है क्योंकि शरीर से खून ज्यादा बह गया था। यह गोली ऐसी जगह पर है, जिसे निकालना संभव नहीं है। इससे कई बार परेशानी भी होती हैं। यह गोली आज भी मुझे ताज होटल पर हुए आतंकी हमले की याद दिलाती है। इस हमले के समय मुझ पर करीब 30 से ज्यादा गोलियां चलाई गई। आतंकी को केवल मेरे हाथ पर लगी गोलियां ही नजर आई। मैं घायल था। जब आतंकी मेरे पास आए, तो मैंने सांस रोक ली। महसूस करवाया कि मैं मर चुका हूं और वे मुझे छोड़कर चले गए।
Updated on:
26 Nov 2025 10:53 am
Published on:
26 Nov 2025 10:42 am
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