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अलवर जिला अस्पताल की इमरजेंसी सेवा रेजिडेंट डॉक्टर्स व इंटर्न के भरोसे 

सामान्य अस्पताल की इमरजेंसी में चिकित्सा सेवाएं रेजिडेंट डॉक्टर्स व इंटर्न के भरोसे हैं। हालांकि इमरजेंसी में एक सीनियर चिकित्सक की ड्यूटी रहती है, लेकिन सीनियर डॉक्टर इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान कभी-कभार ही नजर आते हैं।

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जिला अस्पताल अलवर (फाईल फोटो - पत्रिका)

सामान्य अस्पताल की इमरजेंसी में चिकित्सा सेवाएं रेजिडेंट डॉक्टर्स व इंटर्न के भरोसे हैं। हालांकि इमरजेंसी में एक सीनियर चिकित्सक की ड्यूटी रहती है, लेकिन सीनियर डॉक्टर इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान कभी-कभार ही नजर आते हैं। मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध अस्पताल की इमरजेंसी में मुख्य रूप से मेडिसिन, जनरल सर्जरी, एनेस्थीसिया, ईएनटी और हड्डी रोग विशेषज्ञ की सेवाएं जरूरी हैं।

वहीं, राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध सामान्य अस्पताल में जनरल मेडिसिन के 8, जनरल सर्जरी के 11, एनेस्थीसिया के 10, ईएनटी के 7 और 5 हड्डी रोग विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं। मगर मरीजों को इनका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट केवल रेफरल यूनिट की तरह कार्य कर रही है। ऐसे में परिजन गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद निजी अस्पतालों में ले जा रहे हैं। इससे उन पर आर्थिक भार भी बढ़ रहा है।

शाम को अधिक आते हैं इमरजेंसी के केस

दुर्घटना के अधिकांश मामले भी ओपीडी के बाद ही आते हैं। ऐसे में सामान्य एमबीबीएस की जगह विशेषज्ञ चिकित्सकों की इमरजेंसी में ड्यूटी होना जरूरी है। ताकि मरीज को गंभीर अवस्था में मरीज को तुरंत गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराया जा सके। फिलहाल इमरजेंसी में सीनियर चिकित्सक की सेवाओं के नाम पर स्किन, कैंसर व नेत्र रोग सहित किसी भी विभाग के एक विशेषज्ञ की ड्यूटी लगाई जा रही है। इनमें भी कई चिकित्सक ड्यूटी से गायब ही रहते हैं। इसके कारण गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।

150 चिकित्सक फिर भी मरीज बेहाल

वर्तमान में मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी में 64 चिकित्सक उपलब्ध हैं। इसमें से 46 विशेषज्ञ चिकित्सक जिला अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। जिसमें निश्चेतन, स्त्री रोग, जनरल मेडिसिन, सर्जरी, एनईटी, नेत्र रोग, शिशु रोग व चर्म रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। जबकि पैथोलॉजी व बायोकेमेस्ट्री के एक-एक चिकित्सक की रोटेशन में ड्यूटी रहती है। इसके अलावा 93 चिकित्सक पीएमओ के अधीन कार्यरत हैं। ऐसे में जिला अस्पताल में करीब 150 चिकित्सक हैं। वहीं, 18 चिकित्सक जिला अस्पताल से पोस्ट एमबीबीएस का डिप्लोमा कर रहे हैं। साथ ही करीब 14-15 सीनियर रेजिडेंट, 70 रेजिडेंट और करीब 100 इंटर्न सेवाएं दे रहे हैं। जो सीनियर चिकित्सकों की अनुपिस्थति में मरीजों पर प्रयोग कर रहे हैं। इसके कारण कई बार गंभीर मरीजों की जान पर भी बन आती है।

विशेषज्ञों की इमरजेंसी में ड्यूटी लगे तो मिले फायदा

जानकारों की मानें तो जिला अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सक उपलब्ध हैं। लेकिन कॉलेज व अस्पताल प्रशासन की लचर कार्यशैली के चलते अधिकांश सीनियर चिकित्सक ड्यूटी से नदारद रहकर घर पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ऐसे में अगर जरूरी सभी विभागों से एक-एक चिकित्सक की रोटेशन में इमरजेंसी में सेवाएं उपलब्ध कराई जाए तो मरीजों को इसका फायदा मिल सकेगा। लेकिन यह भी प्रभावी मॉनिटरिंग होने पर ही संभव हो सकेगा।

एमओ के पद पर भी विशेषज्ञ चिकित्सक

अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के 60 पद स्वीकृत हैं। इनमें से अधिकांश पदों पर वर्तमान में विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं। अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार जनरल मेडिसिन में 8, सर्जरी में 11, पैथोलॉजी में 7, नेत्र विभाग में 8, हड्डी रोग विभाग में 5, शिशु रोग विभाग में 12, ईएनटी में 7, गायनी में 11, फोरेंसिक मेडिसिन में 4, चर्म रोग विभाग में 3, दंत रोग विभाग में 2, टीबी एंड चेस्ट मेडिसिन में एक, एनेस्थीसिया में 5, एनाटॉमी में एक, फार्माकोलॉजी में 3, बायोकेस्ट्री में 4, क्यूनिटी मेडिसिन में 2, फिजियोलॉजी में 3 व माइक्रोबायोलॉजी में 3 विशेषज्ञ चिकित्सक सेवाएं दे रहे हैं।


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