
अलवर. एसीबी की जांच व सरकार के दबाव के बाद जिला परिषद ने माना कि 40 लिपिकों को नौकरी के दो साल बाद एरियर का भुगतान करना था, जबकि यह एरियर नौकरी के अगले ही दिन से दे दिया गया। अब इन लिपिकों से वसूली होगी। जिला स्थापना समिति की बैठक के मिनट्स सामने आने के बाद यह खुलासा हुआ है।
वर्ष 2013 में पंचायतों में तैनात संविदा तकनीशियन व लेखा सहायकों को सरकार ने लिपिक बनाने के लिए रिक्तियां निकाली, लेकिन किन्हीं कारणों से ज्वाइन नहीं किया। उसके बाद वर्ष 2017 में इनको तैनाती दी गई। उसके बाद यह लिपिक कोर्ट पहुंच गए और उन्होंने नोशनल लाभ की मांग की। कोर्ट ने परिषद को आदेश दिए कि नियमानुसार इनको एरियर का भुगतान किया जाए। उसके बाद जिला परिषद को नियमों के तहत इन्हें नौकरी के दो साल बाद एरियर देना था, लेकिन वर्ष 2017 से ही एरियर जारी किया गया। यह राशि वर्ष 2022-23 तक की जारी की गई। यानी करीब दो साल का अतिरिक्त एरियर गलत तरीके से दिया गया। इस मामले का खुलासा राजस्थान पत्रिका ने किया, लेकिन अफसरों ने दबा दिया।
मामला एसीबी में पहुंचा और जांच शुरू हुई। इससे जुड़े दस्तावेज मांगे गए, तो पंचायती राज विभाग के शासन सचिव ने जिला परिषद से इसकी रिपोर्ट मांगी। उसके बाद परिषद के जिमेदारों ने अपने को फंसता देख जिला स्थापना समिति की बैठक 9 सितंबर को बुलाई, जिसके बिंदु संया 14 (अ) के अनुसार पंचायती राज विभाग के परिपत्र 12 अप्रेल 2017 के अनुसार लिपिकों के नकद परिलाभ की गणना और भुगतान उनके दो वर्ष के प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद से किए जाने के आदेश दिए हैं। ऐसे में परिषद को गलती का एहसास हो गया। अब इन लिपिकों से वसूली होगी।
Published on:
25 Nov 2025 01:25 pm
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