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सरिस्का CTH के नए ड्राफ्ट मामले की CBI जांच हो, यहां की खानों को अडानी को देने की मंशा- जितेंद्र सिंह

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरिस्का क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) के नए ड्राफ्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला ऐतिहासिक है। कोर्ट ने पूरी सरकार की कलई खोल कर रख दी है।

मीडिया से बातचीत करते कांग्रेस एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह (फोटो - पत्रिका)

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरिस्का क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) के नए ड्राफ्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला ऐतिहासिक है। कोर्ट ने पूरी सरकार की कलई खोल कर रख दी है। भाजपा की मंशा को जाहिर कर दिया है।

सरिस्का में एक गिरोह काम कर रहा है, जिसका पर्दाफाश सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया है। कहा कि सरिस्का में 100 से 110 खानें बंद हुई हैं। यहां तमाम खनिज पदार्थ हैं। ऐसे में सरकार की मंशा लगती है कि यह एरिया उद्योगपति गौतम अडानी को दिया जाए, लेकिन यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरिस्का में केवल टाइगर रहेंगे, माफिया यहां काम नहीं कर पाएंगे।


सरिस्का में काम कर रहे माफिया

पूर्व मंत्री ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सीटीएच का ड्राफ्ट बिना वैज्ञानिक आधार के बनाया गया था। हैरत की बात यह है कि तीन ही दिन में यह प्रस्ताव राज्य वन्यजीव बोर्ड से राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड तक पहुंचा गया, जबकि बैठकों के मिनट्स तैयार करने में ही कई दिन लग जाते हैं। यहां तक की मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में भी किसी आदमी को 4 से 5 दिन लग जाते हैं, लेकिन भाजपा ने तो ड्राफ्ट तीन दिन में ही ऊपर तक पहुंचा दिया।

इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए। इसी से सरकार की मंशा का पर्दाफाश हो गया। कहा कि सरिस्का में माफिया काम कर रहा है। इसमें पूरी तरह घोटाला हुआ है। इसकी कांग्रेस पार्टी सीबीआई जांच की मांग करती है।

लोकसभा, राज्यसभा में गूंजेगा सरिस्का प्रकरण

उन्होंने कहा कि सरिस्का का प्रकरण हमारे नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, जयराम रमेश के पास पहुंच चुका है। यह लोकसभा और राज्यसभा में प्रमुखता से उठाया जाएगा। कहा कि सरिस्का कि सीटीएच ड्राफ्ट लोकल स्तर पर तैयार नहीं हुआ है। इसके लिए ऊपर से पेन ड्राइव भेजी गई थी, जो सरकारी कंप्यूटर में लगाकर नक्शे निकाले गए और अधिकारियों को डराकर, धमकाकर उस पर हस्ताक्षर लिए गए।

उन्होंने कहा कि सरिस्का को बचाने की लड़ाई हमारी जारी रहेगी। उन्होंने देशभर के पर्यावरण, वन्यजीव प्रेमियों व संगठनों का आभार जताया, जिन्होंने इस लड़ाई में भाग लिया। उन्होंने विशेष तौर पर अलवर के मीडिया की सराहना की। उन्होंने कहा कि अलवर का मीडिया दबाव, लोभ और धमकियों के बावजूद सत्य के साथ खड़ी रही।