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Chane Ki Kheti: अगर चाहते हैं चने की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार… तो जानिए कब और कैसे करें बुवाई

चने की खेती से पहले खेत में 3-4 बार जोत लगानी चाहिए, ताकि मिट्टी पूरी तरह से मुलायम हो जाए। फिर चने के बीज को अच्छे से सुखाकर खेत में गहरी बुवाई करनी चाहिए।

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अलवर

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Santosh Trivedi

Nov 10, 2025

chane ki kheti

Photo- Patrika

खैरथल-तिजारा जिले में चने की खेती अन्य फसलों जैसे सरसों और गेहूं के मुकाबले कम होती है, लेकिन फिर भी कई किसान इसे बड़े पैमाने पर बोते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चने की बुवाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवम्बर तक होता है। इन दिनों किसान खेतों की तैयारी में जुटे हुए हैं और बुवाई के काम को तेजी से पूरा कर रहे हैं।

बुवाई का सही समय और तैयारी का महत्व

विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर बुवाई और खेत में उचित नमी के साथ किया गया कार्य चने की उपज को बेहतर बना सकता है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में किसान आधुनिक तकनीक और उन्नत बीजों का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। सयुंक्त निदेशक कृषि, विजय सिंह ने इस संबंध में किसानों को सलाह दी है कि बुवाई से पहले खेत की अच्छे तरीके से जुताई करनी चाहिए, ताकि बीज भूमि में गहरे और उचित तरीके से बोए जा सकें।

कृषि विशेषज्ञों की सलाह

विजय सिंह ने बताया कि चने की खेती से पहले खेत में 3-4 बार ट्रैक्टर से जोत लगानी चाहिए, ताकि मिट्टी पूरी तरह से मुलायम हो जाए। फिर चने के बीज को अच्छे से सुखाकर खेत में गहरी बुवाई करनी चाहिए। इसके अलावा, चने की फसल में अक्सर विल्ट रोग का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए किसानों को कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर उपचार करवाना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए मैनकोज़ेब (63 प्रतिशत ) और कार्बेंडाजिम (12 प्रतिशत) का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

मिट्टी परीक्षण और बुवाई विधियां

कृषि अधिकारियों के अनुसार, किसान अगर अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो सबसे पहले खेत की मिट्टी का परीक्षण कराना जरूरी है। इससे यह पता चलता है कि मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है और उसे कैसे पूरा किया जाए। इसके बाद ही खेत की गहरी जुताई करें और सही समय पर बुवाई करें।

कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि चने की बुवाई दो प्रमुख विधियों से की जाती है। छीटका विधि और उराई विधि । प्रगतिशील किसानों का मानना है कि यदि बीज को उराई विधि से उचित गहराई में बोया जाए, तो फसल की वृद्धि बेहतर होती है और उत्पादन भी अधिक मिलता है। इस विधि से रोगों का असर भी कम होता है। चने की खेती मुख्यतः शुष्क क्षेत्रों में की जाती है और इसे एक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके बाद फसल बिना किसी और पानी के तैयार हो जाती है।


उत्पादन और लाभ

उराई विधि से एक एकड़ खेत में लगभग 25 से 30 मण तक चने का उत्पादन होता है, जो किसानों के लिए अच्छा मुनाफा हो सकता है। इस वर्ष चने की बुवाई के लिए अभी भी उपयुक्त समय है। किसानों को समय पर बुवाई, मिट्टी परीक्षण और कृषि विशेषज्ञों की सलाह के साथ काम करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने उत्पादन को बढ़ा सकें और बेहतर मुनाफा कमा सकें।