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खाद की किल्लत, को ऑपरेटिव सोसायटी के बाहर किसानों की लगी लंबी कतार

नारायणपुर क्षेत्र में इन दिनों खाद की भारी किल्लत ने किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही खेतों में सिंचाई के साथ ही खाद की मांग बढ़ने लग जाती है, लेकिन पर्याप्त उपलब्धता न होने से किसान लगातार परेशान हो रहे हैं।

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नारायणपुर क्षेत्र में इन दिनों खाद की भारी किल्लत ने किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही खेतों में सिंचाई के साथ ही खाद की मांग बढ़ने लग जाती है, लेकिन पर्याप्त उपलब्धता न होने से किसान लगातार परेशान हो रहे हैं। इससे पूर्व 22 नवंबर को भी यहां 660 कट्टों का वितरण किया गया था।इसी किल्लत के बीच 660 कट्टे कस्बे की कॉपरेटिव सोसायटी बास बैरिसाल के बाहर खाद के लिए किसानों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। खाद का वितरण सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक चली। टोकन सिस्टम से अबकी बार व्यवस्था की गई।


सहायक कृषि अधिकारी हेमराज सैनी ने बताया कि खाद वितरित में करीब 8 घंटे लग गए। एक व्यक्ति को एक खाद का कट्टा दिया गया। फिर भी कुछ किसान खाद से वंचित रह गए। सूचना मिली कि सोसायटी में खाद की खेप पहुंचने वाली है। इसके बाद सुबह से ही बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली और दोपहिया वाहनों पर खाद लेने के लिए सोसायटी के बाहर पहुंचने लगे। कुछ ही घंटों में स्थिति ऐसी हो गई कि बाहर लंबी लाइनें लग गईं और किसानों को अपनी बारी का घंटों इंतजार करना पड़ा। लेकिन कृषि पर्यवेक्षक मुंशी राम सैनी ने व्यवस्था के लिए टोकन सिस्टम किया गया है।

जानकारी के मुताबिक कॉपरेटिव सोसायटी में लगभग 660 कट्टे खाद उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि खाद लेने पहुंचे किसानों की संख्या इससे कहीं अधिक रही है। सीमित स्टॉक के कारण किसानों में निराशा भी देखी गई। कई किसानों ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से खाद की कमी के चलते उन्हें लगातार अलग-अलग दुकानों और सोसायटियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन फिर भी पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही।

किसानों का कहना है कि रबी की फसल के महत्वपूर्ण चरण में ऐसे संकट का सामना करने से उत्पादन पर असर पड़ सकता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में जल्द से जल्द पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराई जाए, ताकि किसानों को राहत मिल सके और फसल का कार्य समय पर पूरा हो सके। क्षेत्र में खाद की किल्लत का मुद्दा लगातार गहराता जा रहा है, ऐसे में किसानों को तुरंत राहत देने के लिए प्रशासनिक स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है।