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सुप्रीम कोर्ट ने लौटाया सरिस्का टाइगर रिजर्व का CTH ड्राफ्ट, कहा – प्रक्रिया का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट ने लौटाया सरिस्का टाइगर रिजर्व का सीटीएच ड्राफ्ट। कोर्ट ने कहा, बिना नोटिफिकेशन, जनता से आपत्तियां मांगे बिना कैसे प्रक्रिया आगे बढ़ गई? यह आदेश तो हमने दिए ही नहीं थे। कोर्ट ने सरकार को प्रस्ताव लौटाया, कहा, अक्टूबर तक पूरी प्रक्रिया के साथ तैयार करके लाएं, दोबारा ऐसा हुआ तो बर्दाश्त नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 15 मई 2024 के आदेश नहीं बदल सकते, ऐसे में सरिस्का में खानों के खुलने का रास्ता फिर बंद हो गया है।

सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) का नया ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर लौटा दिया है कि इसमें नियमों की पालना नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि अक्टूबर तक पूरी प्रक्रिया के साथ नया ड्राफ्ट तैयार करके लाएं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि सरिस्का में खानों को बंद करने के जो आदेश 15 मई 2024 को दिए गए थे, उसको नहीं बदला जा सकता।

कोर्ट ने नियमों के खुलकर उल्लंघन करने के मामले में नाराजगी जताई है। कहा कि 24 जून से लेकर 26 जून तक जयपुर, दिल्ली, देहरादून सब जगह से तीन दिन में ही प्रस्ताव कैसे पास हो सकता है? इस प्रक्रिया से हम संतुष्ट नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि नियमों को दरकिनार करके यह प्रस्ताव दाखिल किया गया है। यदि उसमें नियमों का उल्लंघन किया गया तो 4 घंटे में जयपुर से चीफ सेक्रेटरी को यहीं कोर्ट में बुला लेंगे।

चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने सीटीएच प्रकरण पर सुनवाई की। याचिका दायर करने वाली संस्था टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट के एडवोकेट पीबी सुरेश व पारुल शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह पूरा ड्राफ्ट सरिस्का में बंद हुई 50 खानों को खोलने वाला है। यह ड्राफ्ट सरिस्का से लेकर राज्य वन्यजीव बोर्ड, एनटीसीए, सीईसी से दौड़ते होते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जबकि इसका नोटिफिकेशन राज्य वन्यजीव बोर्ड को जारी कर जनता से आपित्तयां मांगनी थी। एमेकस ज्यूरी (न्याय मित्र) के. परमेश्वरम ने भी इस ड्राफ्ट में पेश कई बिंदुओं पर सवाल उठाए।

इस पर एडिशनल सॉलीसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि उनके पास सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) की रिपोर्ट है। इसको लेकर अधिक जानकारी और करेंगी। उन्होंने सरकार का पक्ष रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा दिए। कहा कि प्रोसीजर फॉलो नहीं किया गया। उन्होंने ड्राफ्ट में लगे पन्नों को देख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया बहुत तेजी से पेश की गई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में ऐसे कोई आदेश ही नहीं दिए थे। ऐसे में टाइगरों को ध्यान में रखते हुए नया सीटीएच ड्राफ्ट अक्टूबर तक पेश करें, लेकिन उसमें नियमों का उल्लंघन हुआ तो चीफ सेक्रेटरी को यहां बुला लिया जाएगा।

इस तरह बना माहौल, पत्रिका ने पूरी प्रक्रिया पर उठाए थे

सवाल राजस्थान पत्रिका ने सीटीएच ड्राफ्ट की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। तेजी से ड्राफ्ट तैयार करने, नोटिफिकेशन जारी न करने, आपित्तयां न मांगने, माइनिंग एरिया में टाइगर की टेरिटरी होने, आबादी एरिया सीटीएच में शामिल करने समेत कई मुद्दाें को पर्यावरण प्रेमियों के जरिए उठाया। टाइगर ट्रेल्स टस्ट ने इन्हीं बिंदुओं को कोर्ट के समक्ष रखा। अन्य पर्यावरण प्रेमियों ने कोर्ट तक यह पूरा प्रकरण दायर किया।

इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने 22 पेज की फाइल दिल्ली में सीईसी के समक्ष पेश की थी। अलवर समेत देश के कई पर्यावरण प्रेमियों ने ड्राफ्ट के खिलाफ आवाज उठाई थी। यही बिंदु सुप्रीम कोर्ट में सीटीएच ड्राफ्ट की वापसी का कारण बने। क्या है सीटीएच बाघ परियोजना में एक निश्चित एरिया क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट यानी सीटीएच कहलाता है। इस एरिया में टाइगरों का घर होता है, जहां वह निवास करते हैं और अपना कुनबा बढ़ाते हैं। सरिस्का में सीटीएच 881 वर्ग किमी है, जो पुर्ननिर्धारण करके 929 वर्ग किमी किया गया, लेकिन बंद खानों वाले एरिया का सीटीएच एरिया कम करके दूसरी साइड में बढ़ा दिया गया था।

यह था सरकार का ड्राफ्ट

सरिस्का के पुनर्सीमांकन (युक्तिकरण) के तहत सीटीएच से हटाया गया 48.39 वर्ग किमी एरिया नए रूप से शामिल किया गया था। पुनर्सीमांकन से पूर्व यह क्षेत्रफल 881.11 वर्ग किमी था और बाद में संशोधित क्षेत्रफल 924.48 वर्ग किमी हो गया। कुल क्षेत्रफल में 43.37 वर्ग किमी की वृद्धि हुई। सरिस्का के बफर क्षेत्र से हटाकर तीन ऐसे वन खंडों को सीटीएच में शामिल किया, जो अलग थे। 23 वन खंड हटाए गए, क्योंकि यह क्षेत्र खंडित थे। टहला एरिया में सीटीएच कम किया गया और उसका आकार बफर एरिया की ओर बढ़ाया गया। टहला एरिया में ही खानें बंद हुई थीं।

क्या है सीटीएच

बाघ परियोजना में एक निश्चित एरिया क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट यानी सीटीएच कहलाता है। इस एरिया में टाइगरों का घर होता है, जहां वे निवास करते हैं और अपना कुनबा बढ़ाते हैं। सरिस्का में सीटीएच 881 वर्ग किमी है। नए ड्राफ्ट में इसे पुर्ननिर्धारण करके 929 वर्ग किमी किया गया। बंद खानों वाले एरिया का सीटीएच एरिया कम करके दूसरी साइड में बढ़ा दिया गया। ऐसे में सरिस्का में बंद खानों को फिर से खोलने का रास्ता बंद हो गया है।

अब यह प्रक्रिया अपनानी होगी

सीटीएच का निर्धारण दो माह में करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश के अनुसार कमेटी बनेगी। नए एक्सपर्ट भी शामिल होंगे।
ड्राफ्ट सरिस्का प्रशासन पास करेगा, उसके बाद राज्य वन्यजीव बोर्ड नोटिफिकेशन जारी करेगा। एरिया वाइज बताना होगा कि सीटीएच में अब ये इलाके शामिल होंगे।
जनता से आपत्तियां मांगकर एनटीसीए को भिजवानी होंगी। वहां से प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय जाएगा।
इसके बाद सीईसी चैक करेगी और सुप्रीम कोर्ट में ड्राफ्ट मंजूरी के लिए दाखिल होगा।

कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली व पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मुद्दा उठाया। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सीटीएच को टाइगरों के हित में बताया। रामगढ़ के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने भाजपा नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।

टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट की अध्यक्ष स्नेहा सोलंकी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। पर्यावरण प्रेमियों ने आरटीआई से सूचनाएं मांगी। दिल्ली के जंतर-मंतर पर देशभर के पर्यावरण प्रेमियों ने प्रदर्शन किया। सेव सरिस्का, सेव टाइगर मुहिम चलाई गई, जिससे अभिनेता जॉन अब्राहम, जल पुरुष राजेंद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली जुड़े। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस व प्रधानमंत्री से सीधी मेल भेजकर सरिस्का बचाने की अपील की गई।

सरकारी सिस्टम की खुल गई पोल

सीटीएच ड्राफ्ट बनाने वाले आईएफएस अफसर नौकरी के दौरान प्रशिक्षण काल में वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण की शपथ लेते हैं, लेकिन इस ड्राफ्ट के जरिए उन्होंने वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने का प्रस्ताव तैयार किया। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ऐसे अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए। सरिस्का से लेकर ऊपर तक अफसरों ने इस प्रस्ताव पर सहमति दी। सीईसी पर सबका भरोसा रहा, लेकिन उनसे भी इस पर चूक हुई। कोर्ट में केस दाखिल करने से पहले यह देखना जरूरी था कि कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश का पालन हुआ या नहीं। ऐसा होता तो आज परिणाम अलग होते। ऐसे में पर्यावरण प्रेमी सीईसी पर सवाल उठा रहे हैं। टाइगर टेल्स टस्ट ने तो सीईसी को ही पार्टी बनाया था।

सीटीएच पर प्रतिक्रिया

प्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है। भाजपा नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर गया है। बंद खानों को खुलवाने के सपने चकनाचूर हो गए। सरिस्का अलवर ही नहीं पूरे राजस्थान व एनसीआर का फेफड़ा है। हम इसे खोखला नहीं होने देंगे। सरिस्का भविष्य में भी रहेगा और टाइगर भी खुलकर सांस लेंगे।- जितेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के एआईसीसी महासचिव

सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से टिप्पणी की, उससे साफ हो गया कि सरकारी सिस्टम और भाजपा नेता सरिस्का को बर्बाद करने चले थे। उनके इरादे टाइगरों के विनाश के थे और बंद खानें खुलवाने के थे। हमारी पार्टी ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया। मैंने खुद सीईसी के समक्ष 25 पेज की आपत्ति दायर की थी। - टीकाराम जूली, नेता प्रतिपक्ष

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने सीटीएच के पुनर्निर्धारण को वैज्ञानिकों व एक्सपर्ट का फैसला बताया था, जबकि कोर्ट ने नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से भाजपा की चाल, चरित्र और चेहरा बेनकाब हो गया है। झूठ बोले कौवा काटे…- योगेश मिश्रा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष

सरिस्का के टाइगरों के साथ ऐसा बर्ताव करने का मंसूबा किसी का होगा, यह नहीं सोचा था। सरिस्का के प्रति हम ऋणी हैं। लाखों-करोड़ों लोगों को ऑक्सीजन मिल रही है। यहां के वन्यजीव पारिस्थितिकी संतुलन बनाए हुए हैं। इसी को देखते हुए हमने सीटीएच के नए ड्राट के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और कोर्ट ने ड्राट फेल कर नया बनाने के निर्देश दे दिए। यह जीत हमारी नहीं, देशभर के पर्यावरण व वन्यजीव प्रेमियों की है। खासकर पत्रिका का आभार, जिन्होंने कोर्ट तक पहुंचने के लिए आधार दिया। - स्नेहा सोलंकी, अध्यक्ष, टाइगर ट्रेल्स टस्ट