सकट. किसानों की मेहनत अब रंग ला रही है। खरीफ की बुवाई के बाद निराई व गुड़ाई की मेहनत से खेतों में बाजरे की फसल लहलहा रही है और उनके अब सट्टे भी निकल आए हैं। इनमें दाने पड़ने लगे हैं। इसे देखकर किसान खुश नजर आ रहे हैं। लहलहाती बाजरे की फसल आने-जाने वालों को भी अपनी ओर बर्बस ही खींच रही है।एक समय ऐसा भी आ गया था कि क्षेत्र के किसान बाजरे के खेती से दूर हो गए थे। बाजरे को मोटे अनाज की श्रेणी में माना गया है। दो दशक बाद बाजरे की खेती की ओर फिर किसानों का रुझान बढ़ा है। सकट के किसान घासीराम मीणा आदि ने बताया कि दो दशक पहले क्षेत्र के अधिकांश किसान खरीफ़ की फसलों में मक्का, ज्वार, तिल, मूंग, उड़द आदि की ही खेती करते थे। उस समय गिने-चुने किसान ही बाजरे की खेती किया करते थे, लेकिन अब किसान अधिकतर किसान बाजरे की ही खेती करते हैं। किसान रामकरण सैनी ने बताया कि बाजरे की खेती कम मेहनत के बावजूद अच्छी पैदावार देती है। इसकी उपज बढ़ाने को लेकर अतिरिक्त मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती है। अच्छी पैदावार होने से इसे खाने के अलावा बेचने का काम करते हैं। जिससे अच्छी आमदनी होती है। सकट क्षेत्र के किसान बाजरे की खेती करने में अग्रणी साबित हो रहे हैं और अन्य को भी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। क्षेत्र के दर्जनों गांवों के खेतों में इन दिनों बाजरे की फसल लहलहा रही है। क्षेत्र में दूर-दूर तक बाजरे की ही फसल नजर आती है।
पिनान. क्षेत्र में दो माह पूर्व की गई खरीफ की बुवाई अब खेतों में लहलहाने लगी है। बाजरे की फसल में बालियों के निकलते ही अन्नदाता खुशी जताने लगे हैं। बाजरे की उच्च वेरायटी से लथपथ बालियों को देख किसानों को बंपर पैदावार की उम्मीद हैं। कजोड़ मीणा लच्छा का बास, मूल चंद डोरोली ने बताया कि पैदावार को निराश्रित गोवंश से बचाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालात ये हैं कि रातों की नींद आंखों में निकालनी पड़ रही है। फसल को बारिश की आवश्यकता है। छोटे लाल मीणा ने बताया कि बाजरा मोटे अनाज की श्रेणी में आता है। जिसे लोग ज्यादा पसंद करते हैं। इस बार अच्छी बारिश से खरीफ की फसल अन्नदाता के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। मलावली क्षेत्र के जंगल में लहलहाती बाजरे की फसल का विहंगम दृश्य।
Published on:
19 Aug 2025 12:44 am