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अलवर का कलाकंद मार्केट क्यों है इतना ख़ास 

अलवर में होप सर्कस से घंटाघर तक फैले कलाकंद और पंसारी बाजार शहर के सबसे व्यस्ततम बाजारों में शामिल हैं। देशभर में जिले की पहचान बन चुके कलाकंद की यहां कई दुकानें हैं।

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अलवर में होप सर्कस से घंटाघर तक फैले कलाकंद और पंसारी बाजार शहर के सबसे व्यस्ततम बाजारों में शामिल हैं। देशभर में जिले की पहचान बन चुके कलाकंद की यहां कई दुकानें हैं। इससे ही इस बाजार का नाम कलाकंद मार्केट है। इसके सामने ही नमकीन की दुकानें हैं। पंसारी बाजार में किराने का सामान, डिस्पोजेबल आइटम, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि की दुकानें हैं। करीब 70-80 साल पुराने ये दोनों बाजार शहर के सबसे लोकप्रिय बाजारों में भी शामिल हैं। वैसे तो यहां साल भर ही खरीदारों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहारी सीजन में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है।

कलाकंद बाजार: लाजवाब स्वाद ही पहचान

कलाकंद बाजार में कलाकंद सहित नमकीन की करीब 8 दुकान है। जो इस बाजार की पहचान भी हैं। इसके अलावा कुछ अन्य दुकानें भी हैं, लेकिन अव्यविस्थत यातायात व्यवस्था और पार्किंग की समस्या बढ़ती जा रही है।


पंसारी बाजार: किराने का सारा सामान एक साथ

पंसारी बाजार में किराने की दुकानों की कतार लगी है। इसके साथ ही डिस्पोजल आइटम, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक आइटम आदि की करीब 50 होल सेल की दुकान हैं। किराने का सारा सामान उपलब्ध होने के कारण इसकी बाजार की पहचान भी पंसारी बाजार के रूप में है। यहां शहर ही नहीं, बल्कि जिलेभर से लोग किराने का सामान खरीदने आते हैं।