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अमरकंटक में घाट की सीढिय़ों में रेलिंग व जंजीर नहीं लगी, आसपास चेतावनी बोर्ड का अभाव

अमरकंटक में एक वर्ष में डूबकर दो युवाओं की मौत, लापरवाही पर उठे सवाल

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नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक में हर साल लाखों श्रद्धालु स्नान और दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन अव्यवस्थाओं और लापरवाही के कारण दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। गुरुवार को अमरकंटक के शांति कुटी में रहने वाले राज भदौरिया की रामघाट में डूबने से मृत्यु हो गई। बीच में बने फव्वारे में पैर फंस गया। सुरक्षा इंतज़ाम नहीं होने से वे पानी में डूब गए। इससे पहले 29 जनवरी को अनूपपुर निवासी विकास विश्वकर्मा की रामघाट में डूबने से मौत हो गई थी। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई। न तो घाट पर किसी प्रकार की चेतावनी पट्टिकाएं लगी हैं और न ही प्रशिक्षित गोताखोरों की व्यवस्था है। यहां तक कि स्नान करने के लिए जो सीढिय़ाँ घाटों पर बनी हैं, वहां भी न तो रेलिंग लगाई गई है और न ही पानी में जंजीर जैसी सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध है। कोटितीर्थ कुंड, उत्तर और दक्षिण तट जैसे प्रमुख स्नान स्थलों पर भी यही हालात हैं। कई बार सीढिय़ों पर जमी काई और शैवाल के कारण फिसलन की स्थिति बन जाती है, जिससे महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग स्नान करते समय असंतुलित होकर गहरे पानी में गिर जाते हैं। यह जोखिमपूर्ण स्थिति वर्षों से बनी हुई है, लेकिन इसे लेकर किसी भी विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई है।

लोगों ने कहा- प्रशासन बनाए इंतजाम

श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों में लगातार बढ़ रही नाराजग़ी अब खुलकर सामने आने लगी है। उनका कहना है कि अमरकंटक जैसे धार्मिक स्थल पर सुरक्षा इंतजामों की उपेक्षा करना प्रशासन की गंभीर भूल है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है, लेकिन उनके जीवन की सुरक्षा को लेकर न ही कोई नीति बनाई गई है और न ही ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस प्रयास किए गए हैं। अमरकंटक जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटक स्थल की गरिमा तभी बनी रह सकती है जब यहां श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। प्रशासन इन घटनाओं से सबक लेते हुए घाट की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करे, प्रशिक्षित गोताखोरों की तैनाती सुनिश्चित करे, चेतावनी बोर्ड लगाए। तैरना कूदना पूर्णत: निषेध हो और सीढिय़ों की मरम्मत एवं सफाई की व्यवस्था करे।