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Budh Gochar 2025: अक्टूबर में बुध गोचर से इन राशियों को हो सकता है नुकसान, जानें जीवन पर क्या पड़ेगा असर

Budh Gochar 2025: अक्टूबर में बुध का गोचर तुला और वृश्चिक राशि में होगा। जानें किन राशियों पर इसका बुरा असर पड़ेगा, क्या समस्याएं आ सकती हैं और कौन से उपाय अपनाकर राहत पा सकते हैं।

2 min read

भारत

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Dimple Yadav

Sep 26, 2025

Budh Gochar 2025

Budh Gochar 2025 (photo- gemini ai)

Budh Gochar 2025: अक्टूबर का महीना काफी खास होने वाला है। इस महीनें त्योहारों के साथ ही साथ ग्रहों का गोचर भी होने वाला है। इस महीनें बुध ग्रह का गोचर विशेष महत्व रखता है। 3 अक्टूबर को बुध कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे, और फिर 24 अक्टूबर को वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है, जो बुद्धि, तर्क, वाणी, व्यापार और संचार के कारक होते हैं। इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा, लेकिन कुछ राशियों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। तो आइए जानते हैं किन राशियों को सावधान रहने की जरूरत है।

वृश्चिक राशि (Scorpio):

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह समय मिश्रित परिणाम देने वाला हो सकता है। बुध का गोचर वृश्चिक राशि में होने से मानसिक तनाव और उलझनें बढ़ सकती हैं। निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है, और संचार में भी समस्याएं आ सकती हैं। इस दौरान पारिवारिक और व्यावसायिक जीवन में भी चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इस अवधि में धैर्य और सोच-समझकर निर्णय लेना आवश्यक है।

सिंह राशि (Leo):

सिंह राशि के जातकों को भी इस गोचर के दौरान सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बुध का गोचर उनके आठवें भाव में होने से अचानक परिवर्तन और अप्रत्याशित घटनाएं हो सकती हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इस समय में पुराने विवादों को सुलझाने की कोशिश न करें, क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

मीन राशि (Pisces):

मीन राशि के जातकों के लिए भी यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बुध का गोचर उनके बारहवें भाव में होने से मानसिक अशांति और अनिद्रा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यात्रा के दौरान भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है। इस समय में आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न होना और मानसिक शांति बनाए रखना लाभकारी रहेगा।

सावधानियां और उपाय:

वाणी पर नियंत्रण रखें: इस अवधि में वाणी पर नियंत्रण रखना आवश्यक है, क्योंकि गलत शब्दों से विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।

धैर्य बनाए रखें: निर्णय लेने में जल्दबाजी से बचें और धैर्य बनाए रखें।

स्वास्थ्य का ध्यान रखें: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, और नियमित व्यायाम करें।

आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न हों: ध्यान, योग और प्रार्थना जैसी आध्यात्मिक गतिविधियाँ मानसिक शांति प्रदान कर सकती हैं।