
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती फोटो सोर्स 1008.Guru X अकाउंट
अयोध्या में राम मंदिर के लिए तैयार की गई विशेष धर्मध्वजा अब जन्मभूमि परिसर पहुंच गई है। 25 नवंबर को होने वाले ध्वजारोहण समारोह में PM मोदी पहली बार मंदिर के 191 फीट ऊंचे शिखर पर यह ध्वज फहराएंगे। हालांकि कार्यक्रम में शंकराचार्यों को आमंत्रित नहीं किया गया है।
अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह को लेकर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि शास्त्रों में कहीं ध्वजारोहण का उल्लेख नहीं मिलता। शिखर की पहले प्रतिष्ठा होती है। जो यहां नहीं की गई। इसलिए वे सिर्फ उन्हीं आयोजनों में शामिल होते हैं। जहां शास्त्रीय परंपराओं का पालन नजर आए। मनमानी परंपरा का वे समर्थन नहीं करते।
समारोह में उन 100 दाताओं को बुलाया गया है। जिन्होंने मंदिर निर्माण में 2 करोड़ से अधिक का योगदान दिया है। लखनऊ, अयोध्या और आसपास के 25 ज़िलों के लोगों व किसानों को भी विशेष तौर पर शामिल किया गया है।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि परंपरा में ध्वज नीचे से ऊपर चढ़ाकर नहीं लगाया जाता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जगन्नाथ मंदिर में रोज ध्वज बदला जाता है। जहां व्यक्ति ध्वज लेकर ऊपर चढ़ता है। और वहीं से उसे फहराता है। द्वारका मंदिर में भी दिन में कई बार ध्वज बदलने की प्रथा है। उन्होंने दोहराया कि ध्वजा बदले जाने की प्रक्रिया तब होती है। जब पहले उसकी प्रतिष्ठा हो चुकी हो। लेकिन यहां शिखर की प्रतिष्ठा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। सिर्फ ध्वजारोहण और मेहमानों के बुलाए जाने की बात कही जा रही है। इसलिए वे इसमें शामिल नहीं होंगे।
धर्मध्वजा को गुजरात के 6 कारीगरों ने 25 दिन में तैयार किया है। 11 फीट चौड़ा और 22 फीट लंबा यह त्रिस्तरीय ध्वज सूर्योदय की लालिमा जैसा चमकदार केसरिया है। इस पर सूर्यदेव, ॐ और कोविदार वृक्ष की आकृतियां उकेरी गई हैं।
ध्वज विशेष पैराशूट फैब्रिक और रेशमी धागों से बनाया गया है। जिसमें तीन परतों का उपयोग हुआ है। शिखर की अधिक ऊंचाई के कारण नायलॉन की डोरी को भी मजबूत रखा गया है। ताकि उसे ऊपर खींचने में अतिरिक्त बल लगे।
ध्वज तैयार करने से पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने चार महीने तक लगातार बैठकर धार्मिक, शास्त्रीय और तकनीकी पहलुओं पर विचार किया। ध्वज में उपयोग की गई हर सामग्री स्वदेशी है। और इसे पूरी तरह हाथ से बनाया गया है। किनारों पर गोल्डन फैब्रिक, अंदर अस्तर और ध्वजदंड पर घुमावदार चैंबर लगाया गया है। जिसमें बॉल बेयरिंग हैं। ताकि तेज हवाओं में भी ध्वज सुरक्षित रह सके। इसी दंड पर धर्मध्वजा स्थापित की जाएगी।
Published on:
24 Nov 2025 12:59 pm
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