
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियावर राम चंद्र की जय से संबोधन की शुरुआत की, PC- ANI
PM Modi Ayodhya flag Hoisting : श्रीराम मंदिर के शिखर पर PM मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने ध्वजारोहण किया। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के ठीक 673 दिन बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्म ध्वजा फहराई। पीएम के बटन दबाते ही 161 फीट ऊंचे शिखर पर 2 किलो वजनी विशाल केसरिया ध्वज लहराने लगी। इस पल पीएम भाव-विभोर हो गए। प्रधानमंत्री ने धर्म ध्वजा को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। धर्म ध्वजा फहराने के बाद पीएम ने संबोधन दिया।
पीएम मोदी ने सियावर राम चंद्र की जय के उद्घोष के साथ अपने संबोधन को शुरू किया। उन्होंने कहा, आज संपूर्ण भारत और विश्व राममय है, रामभक्त के हृदय में आज अद्वितीय संतोष है। अपार अलौकिक आनंद है। सदियों से लगे घाव भर रहे हैं, सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है। आज उसी यज्ञ की पूर्णाहुति है, जिसकी अग्नि पांच सौ साल तक प्रज्जवलित रही। जो यज्ञ एक पल भी आस्था से डिगा नहीं, एक पल भी विश्वास से टूटा नहीं।
उन्होंने आगे कहा आज भगवान के गर्भगृह की ऊर्जा, यह धर्म ध्वजा केवल ध्वजा नहीं यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। इसका भगवा रंग, इस पर रचित सूर्यवंश की ख्याति, कोविदार वृक्ष, सूर्य रामराज्य का प्रतीक है।
पीएम मोदी ने कहा- ध्वज सत्यमेव जयते का आह्वान करेगा। युगों-युगों तक राम के आदर्शों को मानव मात्र तक पहुंचाएगा। मैं संपूर्ण विश्व के रामभक्तों को इस क्षण की शुभकामना देता हूं, भक्तों को प्रमाण और दानवीर का आभार जिसने सहयोग किया। निर्माण से जुड़े सभी श्रमिक, कारीगर, वास्तुकार का भी अभिनंदन है।
विकसित भारत बनाने के लिए समाज की इसी सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि राम मंदिर का दिव्य प्रांगण भारत के चेतना स्थली बन रहा है। यहां माता शबरी का मंदिर है, जो जनजातीय समाज के प्रेम प्रेरणा की मूर्ति हैं, निषाद राज, माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, संत तुलसीदास, जटायु, गिलहरी की मूर्तियां भी हैं।
राम यानी धर्म और क्षमा का जरिया, राम यानी ज्ञान और विवेक की पराकाष्ठा, राम यानी कोमलता, राम यानी कृतज्ञता का सर्वोच्च उदाहरण, राम यानी श्रेष्ठ संगति का चयन, राम यानी विनम्रता में महाबल, राम यानी सत्य का अडिग संकल्प, राम यानी जागरूक, अनुशासी, निष्कपट, राम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, राम एक मूल्य हैं, एक मर्यादा हैं।
पीएम ने कहा तमिलनाडु के एक गांव में शिलालेख पर बताया है कि कैसे सरकार चुनती थी, कैसे शासन चलता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता के कारण भारत की पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया। हर कोने में गुलामी की मानसिकता ने डेरा डाला है। नौसेना के ध्वज पर ऐसे प्रतीक बन रहे, जिन पर हमारी विरासत से कोई संबंध नहीं है। हमने गुलामी के प्रतीक को हटाया है। हमने छत्रपति महाराज की विरासत को बढ़ाया है। यह डिजाइन नहीं, मानसिकता बदलने का क्षण था। भारत अपनी शक्ति और प्रतीकों से परिभाषित करेगा, ना कि किसी ओर की विरासत से, यही परिवर्तन आज आज अयोध्या में दिखाई दे रहा है।
पीएम मोदी ने कहा, आज से 190 साल पहले 1835 में लार्ड मैकाले ने मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। दस साल बाद यानी 2035 में उस अपवित्र घटना को दो सौ साल पूरे हो रहे हैं, हमें आने वाले दस सालों में भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे।
पीएम मोदी ने कहा- हर कालखंड में राम के विचार ही हमारी प्रेरणा बनेंगे। विकसित भारत की यात्रा को गति देने के लिए ऐसा रथ चाहिए, जिसके पहिये शौर्य और धैर्य हों। ऐसा रथ जिसकी ध्वजा नीति, नीयत से समझौता नहीं करे। ऐसा रथ जिसके घोड़े बल, विवेक, संयम और परोपकार हो। ऐसा रथ जिसकी लगाम क्षमा, करुणा और संभाव हो, जहां सफलता का अंहकार नहीं, असफलता में भी दूसरों के प्रति सम्मान बना रहे। यह पल कंधे से कंधा मिलाने का है, यह पल गति बढ़ाने का है। अंत में उन्होंने जय सियाराम, जय सियाराम, जय सियाराम के उद्घोष के साथ संबोधन को समाप्त किया।
Updated on:
25 Nov 2025 04:39 pm
Published on:
25 Nov 2025 04:35 pm
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