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अंधेरे में सायरनों की आवाज, बच्चों की चीखें और क्षत-विक्षत शव, दिवाली से पहले ब्लास्ट में खत्म हो गया पूरा परिवार

भदरसा ब्लास्ट के बाद घर के चार लोगों की मौत के बाद परिवार में कोई चिराग जलाने वाला नहीं रहा। दो घटनाओं में परिवार के कुछ 6 लोगों की मौत हो गई है, जिससे दीपावली पर घर में चिराग जलाने वाला नहीं बचा है।

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दिन गुरुवार, शाम का वक्त… दीपावली से पहले की रोशनी के बीच अंधेरा ऐसा उतरा, जिसने पूरे पगला भारी गांव को दहला दिया। सड़क किनारे बना पारसनाथ उर्फ पप्पू का मकान एक धमाके के साथ उड़ गया। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि मकान की दीवारें हवा में बिखर गईं, खिड़कियां-दरवाजे कांप उठे, और आसपास के घरों की छतों तक धूल भर गई। करीब एक किलोमीटर तक आवाज सुनाई दी और फिर सन्नाटा, सायरनों की गूंज और लोगों की चीखें।

कुछ ही मिनटों में गांव का माहौल मातम में बदला

कुछ ही मिनटों में गांव का माहौल मातम में बदल गया। आग की लपटों के बीच जब फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीमें पहुंचीं तो वहां इंसान नहीं, सिर्फ राख, मलबा और अधजले शरीर मिले। SSP से लेकर फॉरेंसिक टीम तक सब मौजूद थे, लेकिन पगला भारी के उस घर में अब कोई नहीं बचा जो दीप जलाए। मकान के मालिक पारसनाथ उर्फ पप्पू, उसके 3 बच्चे- ईसी, लव, यश और एक रिश्तेदार सबकी मौके पर मौत हो चुकी थी। घर के भीतर मौजूद एक रिश्तेदार बुरी तरह झुलस गया था। शव इतने बुरी तरह जल चुके थे कि पहचान मुश्किल हो रही थी।

पूरे इलाके में भय का माहौल

जब फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचीं तो अंधेरे में सायरनों की आवाज और पुलिस की टॉर्च की चमक पूरे इलाके में भय का माहौल बना रही थी। मलबे से बच्चों के जले खिलौने, टूटी खिड़कियां और बिखरे कपड़े बरामद हुए। जहां घर था, अब बस पिलर खड़े थे।

2024 में भी पप्पू के घर में हुआ था ब्लास्ट

यह वही पप्पू था, जिसके घर में 2024 में भी ब्लास्ट हुआ था। वह घटना भी दीपावली के आसपास ही हुई थी। तब पारसनाथ की पत्नी और माता के अलावा उसके घर पर स्थित आटा चक्की पर गेहूं पर पिसवाने आई मुरावन का पुरवा निवासी एक 17 साल की स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा की भी मौत हुई थी।

उस घटना के बाद गांव वालों ने गांव में घर नहीं बनाने दिया था। उसके बाद वह महाराणा प्रताप वार्ड में सड़क किनारे एक डेढ़ बिस्सा में एक मकान बनवा लिया और अपनी साली और पहली पत्नी से एक बेटी और दो पुत्रों के साथ रहने लगा था। इसके आसपास 100 मीटर के अंदर कोई घर नहीं था। यह अकेला घर बनाकर अपनी साली और तीन बच्चों के साथ रह रहा था। यह मकान 2024 के बाद मकान बनाया था। लोगों का कहना है कि वह अवैध रूप् से पटाखा बनाने के धंधे में लगा था।

पूरा परिवार खत्म

ग्रामीणों की मानें तो अगर साली/पत्नी की भी मौत हुई तो परिवार में कोई नहीं रहेगा। पूरा इलाका मातमी सन्नाटे में डूबा है। हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है।