Bahraich News: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में महिलाएं स्थानीय नायक के रूप में उभरीं। उन्होंने अलग-अलग घटनाओं में मगरमच्छों से लड़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। एक महिला ने अपने पांच साल के बेटे को बचाया, जबकि दूसरी महिला ने अपने पति की जान बचाई।
पहली घटना रविवार को खैरीघाट इलाके के ढकिया गांव में घटी। जब 7 फुट लंबा मगरमच्छ एक लड़के वीरू को उफनती घाघरा नदी से जुड़े नाले में खींच ले गया। उसकी मां माया उसकी चीखें सुनकर मौके पर पहुंचीं।
माया ने पत्रकारों को बताया, "मेरा बच्चा मगरमच्छ के जबड़े में फंस गया था। मैं अपनी जान की परवाह किए बिना कूद गई। मगरमच्छ उसे खींच रहा था, लेकिन मैंने उसे पूरी ताकत से पकड़े रखा। मेरे पास एक लोहे की छड़ थी और मैंने मगरमच्छ पर तब तक वार किया जब तक वह छूट नहीं गया।"
बहराइच के प्रभागीय वनाधिकारी राम सिंह यादव ने पुष्टि की कि बच्चे को चोटें आई हैं, लेकिन अब उसकी हालत स्थिर है। अधिकारी ने कहा, "मगरमच्छ को पकड़ने के लिए नाले में तीन जगहों पर जाल लगाए गए हैं, लेकिन वह अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे जलाशयों के पास ना जाएं क्योंकि मानसून के दौरान मगरमच्छ नहरों और झरनों में चले जाते हैं।"
वहीं दूसरी घटना मोतीपुर क्षेत्र के माधवपुर गांव में हुई। 45 साल के सैफू अपनी पत्नी सुरजना और साली के साथ रमतलिया नहर पार कर रहे थे। इसी दौरान एक मगरमच्छ ने उन पर झपट्टा मारा और उनके पैर को काट लिया। सैफू मदद के लिए चिल्लाया, तो सुरजना ने अपनी साड़ी पानी में फेंक दी, जिसे सैफू ने पकड़ लिया। गांव वाले दौड़े और मगरमच्छ को तब तक लाठियों से पीटा जब तक उसने उसे छोड़ नहीं दिया।
सैफू का पहले एक स्थानीय अस्पताल में इलाज किया गया और बाद में बहराइच मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया गया, जहां डॉक्टर्स उनकी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के वन अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश के कारण नदियों और नहरों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे मगरमच्छ आबादी वाले इलाकों के करीब पहुंच गए हैं। मगरमच्छों को पकड़ने के लिए टीमें तैनात कर दी गई हैं और बचाव अभियान जारी है।
Published on:
20 Aug 2025 03:57 pm