
एमपी के इतिहास में सबसे बड़ा नक्सली सरेंडर (Photo Source- CM MOhan X Handle)
Biggest Naxal Surrender : छत्तीसगढ़ के साथ-साथ महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सक्रीय रहकर आतंक मचाने वाले कान्हा भोरम देव दलम के 10 नक्सलियों ने बालाघाट में मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के सामने 8 हथियारों के साथ आत्मसमपर्ण किया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, सरेंडर करने वाले नक्लियों पर 2 करोड़ 36 लाख रुपए का ईनाम था। पुलिस लाईन में आयोजित कार्यक्रम में माओवादियों ने सरेंडर किया, जिसमें केबी डिवीजन के एसीएम कबीर पर 77 लाख रूपए का ईनाम था। सभी नक्सलियों पर महाराष्ट्र छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश सरकार की ओर से इनाम घोषित किया गया था। इस तरह गौर करें तो ये मध्य प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा नक्सली सरेंडर बन गया है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलवादियों में 4 महिला नक्सली भी शामिल हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में केबी डिवीजन का लीडर कबीर ने भी आत्मसमर्पण किया है, जिस पर 77 लाख रूपए का इनाम था। नक्सलियों ने इस दौरान 2 एके-47, 2 INSAN, 1 SLR , 2 SSR, 7 BGL सेल और 4 वाकीटाकी भी पुलिस को सौंपे हैं।
आपको बता दें कि, गुलाब उईके (बीट गार्ड) के माध्यम से नक्सलियों ने सरेंडर किया। गुलाब उईके के माध्यम से नक्सली आईजी संजय कुमार के पास लाए गए। गुलाब उईके मुक्की रेंज के खापा बीट में पदस्थ हैं।
नक्सली सरेंडर को लेकर पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा का कहना है कि, उनपर लगातार फोर्स का भारी दबाव बन रहा है। मध्य प्रदेश शासन की पुनर्वास से पुनर्जीवन अभियान की महती भूमिका बताई। उन्होंने ये भी कहा कि, ग्रामीणों का सपोर्ट नहीं मिल रहा है। मार्च 2026 के लक्ष्य के तहत बालाघाट नक्सल मुक्त होगा। मौजूदा समय में सिर्फ एक दल सक्रिय है।
मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने इस समर्पण के दौरान पुलिस के अधिकारी और कर्मचारियों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की ओर से दिए लक्ष्य की ओर बढ़ रहे मध्यप्रदेश के इस कदम को प्रभावी बताया। सीएम ने कहा कि, हम लाल आतंक या हथियार को किसी को उठाने या रखने नहीं देगें। जो भी शेष नक्सली हैं, उनसे अपील है कि वो भी सरेंडर करें। यहां पर पुर्नवास नीति का उन्हें लाभ मिलेगा। बल्कि पुर्नवास नीति से बढ़कर लाभ देने का काम किया जाएगा। सीएम ने उन नक्सलियों को चेताते हुए कहा- जो सरेंडर नहीं करेंगे, उन्हें अपने खात्मे के लिए तैयार रहना है। हमने जो समय सीमा तय की है, उस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।
आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश का बालाघाट पिछले करीब 35 सालों से (1990) से लाल आतंक से चर्चित रहा है, जो अब खत्म होने की कगार पर आ पहुंचा है। दरअसल, मध्य प्रदेश के इतिहास का अबतक का सबसे बड़ा नक्सलियों का आत्मसमर्पण बालाघाट में हुआ है। केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए एक डेडलाइन तय की थी, जो अब पूरी होती नजर आ रही है।
केबी डिविजन यानी कान्हा भोरमदेव डिविजन के 10 नक्सलियों ने बीती रात वन विभाग खापा जोन के वनरक्षक गुलाब उईके के जरिए बालाघाट जोन के आईजी संजय सिंह के सामने पहुंचें, जिसके बाद मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित कर समपर्ण की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न कराई गई। इससे पहले 1 नवंबर 2025 को को नक्सली सुनीता ओयाम ने सरेंडर किया था, जिसके बाद एक दुखद खबर भी आई थी, जहा एक एंटी नक्सल ऑपरेशन में इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की शहादत हुई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में अब बहुत कम नक्सली बचे हैं, जिनके जीवन की हम गारंटी लेते हैं, लेकिन वे सरेंडर करें। यहां पर पुलिस फोर्स का दबाव, सरकार की जनकल्याण कारी नीति बनी है, इसी कारण यहां उन्होने सरेंडर किया है। बालाघाट का अधिकांश हिस्सा कान्हा का क्षेत्र खाली हो गया है और आगे बहुत अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है।
Published on:
08 Dec 2025 07:03 am
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