
धान की बढ़ रही कीमत से मालिकों की हालत खराब (Photo Patrika)
CG News: धान मजबूत, पोहा कमजोर। अन्य राज्यों से तुलना मे छत्तीसगढ़ की पोहा मिलें प्रतिस्पर्धा से हो रही हैं बाहर। हालत बहुत ज्यादा खराब, धान का भाव आसमान पर जिससे पोहा मिल चलाने में हो रही है बहुत अधिक परेशानी। जिसके चलते पोहा मिलें बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। कारण एकमात्र है धान का भाव आसमान पर। इससे पोहा उत्पादन करने वाली इकाइयां संकट में हैं। आने वाले दिनों में इन पर ग्रहण लग सकता है। महीने में अभी मुश्किल से 15 दिन ही मिलें चल पाती हैं।
सामान्य दिनों में पोहा मिलों की संचालन अवधि 9 घंटे होती है। परंतु अब मिले बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी है। इन दिनों पोहा मिल का व्यापार काफी खराब हो चुका है। जिसका एकमात्र कारण है कि अन्य राज्यों में धान का भाव छत्तीसगढ़ की तुलना में काफी कम है जिससे उन्हें पोहा की उत्पादन लागत कम पड़ती है जिससे वह बाजार में आसानी से पोहा बेच पाने में सफल हो रहे हैं। जबकि व्यापारी छत्तीसगढ़ का पोहा लेने से इनकार कर रहे हैं क्योंकि उसकी कीमत अधिक है। मिल मालिकों की स्थिति काफी खराब हो चुकी है मिले एक माह में मात्र ले दे कर 15 दिन ही मुश्किल से चल पा रही है। कुछ पोहा मिल मालिक तो मजबूरी में मिलो को चलाने में लगे हुए हैं ताकि जो मजदूर है वह इधर-उधर ना हो जाए। नुकसान झेलकर भी व्यापार करने के लिए विवश है व्यापारी।
समर्थन मूल्य और प्रति एकड़ खरीदी की मात्रा ज्यादा होना। सरकार का 3100 में धान खरीदी करना पोहा मिल मालिकों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। रही-सही कसर प्रतिस्पर्धी खरीदी पूरी कर रही है।
यह परिस्थितियां, पोहा क्वालिटी धान की कीमत को मजबूती दे रहीं हैं। मंदी के संकेत इसलिए भी नहीं मिल रहे हैं क्योंकि समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की अभी शुरू ही हुई है ।
पूरी तरह प्रतिकूल स्थितियों के बीच उत्पादित पोहा की खरीदी फिलहाल उपभोक्ता राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश से निकली हुई है लेकिन मांग की मात्रा, उत्साह बढ़ाने वाली नहीं मानी जा रही है। इसलिए नए उपभोक्ता बाजार की तलाश के संकेत मिल रहे हैं। अब रही बात घरेलू मांग की, तो यह हमेशा की तरह स्थिर बनी हुई है।
छत्तीसगढ़ की तुलना में गुजरात बिहार में धान का भाव काफी काम चल रहा है जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ की पोहा मिले बाजार में उनसे प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रही है फलस्वरूप छत्तीसगढ़ का पोहा खरीदने से लोग इनकार कर रहे हैं। कारण बेहद स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में धान का भाव अत्यधिक चल रहा है जिसके कारण स्वाभाविक रूप से पोहा का दाम अधिक है। यही स्थिति बनी रही तो पोहा मिलन में ताले लग जाएंगे इसके साथ ही मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो जाएगा क्योंकि भाटापारा में करीब 200 से अधिक पोहा मिले हैं जहां काफी बड़ी संख्या में मजदूरों को काम मिलता है।
पोहा क्वालिटी धान में ऊंची कीमत पोहा मिलो को बंदी की कगार पर लाकर खड़ी कर दी है। भाव में पड़ता नहीं खाने की वजह से पोहा मिल मालिक मिल बंद करने के लिए मजदूर हो रहे हैं। धान के भाव कम नहीं हुए तो पोहा मिले संकट में आ जाएंगी। अभी व्यापार में काफी नुकसान है।
रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मिल एसोसिएशन, भाटापारा
Published on:
24 Nov 2025 02:37 pm
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