Dharmantaran Sadullanagar: धर्मांतरण के जिस खेल में अब तक छांगुर उर्फ जमालुद्दीन, नीतू उर्फ नसरीन और नवीन को मुख्य किरदार मानकर कार्रवाई की जा रही थी, अब वह नजरिया बदलने लगा है। शासन को भेजी गई रिपोर्ट और खुफिया एजेंसियों की जानकारी के अनुसार यह तीनों सिर्फ मोहरे हैं, असली साजिश की डोर कहीं और से खिंच रही है और इसका केंद्र है सादुल्लानगर।
बलरामपुर जिले का सादुल्ला नगर क्षेत्र पिछले लगभग एक दशक से धर्मांतरण के मामलों में संवेदनशील माना जा रहा है। वर्ष 2023-24 में बलरामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह ने इस क्षेत्र में धर्मांतरण और पुलिस-आपराधिक गठजोड़ की गंभीर रिपोर्ट शासन को भेजी थी। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि किस प्रकार से कुछ पुलिस अधिकारी पूर्व सपा विधायक और घोषित गैंगस्टर आरिफ अनवर हाशमी को संरक्षण दे रहे हैं।
12 जून 2023 से 28 जून 2024 तक बलरामपुर के जिलाधिकारी रहे अरविंद सिंह ने मजिस्ट्रेटी जांच के आधार पर बताया था कि धर्मांतरण की जड़ें केवल स्थानीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैली हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रमुख साजिशकर्ता की पहुंच दुबई, कतर, सऊदी अरब और पाकिस्तान तक है। नेपाल के साथ सटे उत्तर प्रदेश के सात जिलों को इस साजिश से प्रभावित बताया गया। हालांकि इस रिपोर्ट के सामने आने के तुरंत बाद उनका तबादला कर दिया गया और रिपोर्ट को दबा दिया गया। इसी बीच तत्कालीन एसपी को भी हटाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2024 में पुलिस ने गैंगस्टर आरिफ अनवर हाशमी व उसके भाई मारुफ अनवर हाशमी की गिरफ्तारी के लिए सादुल्ला नगर में दबिश दी थी। आरिफ उस वक्त घर पर ही मौजूद था, लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी ने उसे गिरफ्तार नहीं किया और अपनी रिपोर्ट में झूठी जानकारी दी कि आरिफ घर पर नहीं था।
इतना ही नहीं, आरिफ अनवर हाशमी ने सादुल्ला नगर थाने की जमीन पर ‘शरीफ शहीदे मिल्लत अब्दुल कद्दूस शाह रहमतुल्ला अलैह’ नाम से एक समिति बनाकर वहां मजार बनवा दी। इस समिति में अपने भाई मारुफ को मुतवल्ली नियुक्त किया और सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। डीएम की जांच में यह तथ्य स्पष्ट हुए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
अपर मुख्य सचिव गृह व मुख्यमंत्री कार्यालय को लिखे पत्र (पत्रांक संख्या 2825/जेए/24, दिनांक 18 जून 2024) में स्पष्ट आरोप लगाए गए कि तत्कालीन थानाध्यक्ष ने न केवल गैंगस्टर को संरक्षण दिया बल्कि धर्मांतरण में भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भूमिका निभाई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सादुल्लानगर थाना प्रभारी पर मजिस्ट्रेटी जांच में दोष सिद्ध होने के बावजूद उन्हें न हटाया गया, बल्कि उन्हें प्रमोशन स्वरूप नए थाने की जिम्मेदारी दे दी गई।
जांच एजेंसियों की मानें तो धर्मांतरण का यह जाल छांगुर, नीतू और नवीन जैसे चेहरों तक सीमित नहीं है। इनके पीछे एक बड़ा नेटवर्क है जो विदेशों से फंडिंग प्राप्त करता है और नेपाल के रास्ते भारत के सीमावर्ती जिलों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। धर्मांतरण के इस खेल में सोशल मीडिया, धार्मिक संस्थाएं और राजनीतिक संरक्षण की भूमिका भी सामने आ रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व सपा विधायक आरिफ अनवर हाशमी का इस नेटवर्क से गहरा संबंध है। उसे सत्तारूढ़ दलों के कुछ नेताओं और अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त था। यही कारण है कि despite magisterial inquiry, उसे गिरफ्तार नहीं किया गया और उसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
धर्मांतरण का यह नेटवर्क सिर्फ बलरामपुर या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। इसकी जड़ें अंतरराष्ट्रीय हैं और इसके खिलाफ सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई की आवश्यकता है। शासन को चाहिए कि डीएम अरविंद सिंह की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर उच्चस्तरीय जांच शुरू करे।
Updated on:
05 Aug 2025 04:22 pm
Published on:
05 Aug 2025 04:21 pm