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42 दिनों में 22 बाघ पकड़े गए, बंडीपुर के गांवों में सुरक्षा बढ़ाई गई

इस वर्ष केवल मैसूरु क्षेत्र में ही बाघों ने चार लोगों पर हमला किया, जिनमें से तीन लोगों की मौत हो गई। लगातार हो रही घटनाओं के चलते जंगल किनारे बसे हेडियाला, गुंडलुपेट, सरगूर, हंसूर आदि गांवों के लोग भयभीत हैं और रात के समय घरों से निकलना तक बंद हो गया है।

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मैसूरु Mysuru जिले के कई तालुकों में हाल के महीनों में बाघों Tigers की बढ़ती गतिविधियों और हमलों ने स्थानीय ग्रामीणों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश और सुरक्षा की मांग को देखते हुए वन विभाग ने जिले में अब तक का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया। वन विभाग ने 42 दिनों में 12 शावकों सहित कुल 22 बाघ सुरक्षित रूप से पकड़े। इसे मैसूरु और आसपास के क्षेत्रों में अब तक चलाया गया सबसे तेज और व्यापक अभियान माना जा रहा है। अधिकतर बाघों को बंडीपुर टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण इलाकों से पकड़ा गया। इनमें बाघिनों की संख्या सर्वाधिक निकली।

प्रसव काल

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार सितंबर से दिसंबर का समय बाघिनों के प्रसव काल का होता है, इस दौरान वे अपने शावकों की सुरक्षा को लेकर अत्यधिक सतर्क और आक्रामक रहती हैं। इसी वजह से जंगल किनारे बसे गांवों, खेतों और तालाबों के आस-पास बाघों की आवाजाही बढ़ गई, जिसका सीधा असर मानव-बाघ संघर्ष के रूप में सामने आया। बंडीपुर टाइगर रिजर्व से सटे गांव सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।

तीन मौतें, कई हमले

इस वर्ष केवल मैसूरु क्षेत्र में ही बाघों ने चार लोगों पर हमला किया, जिनमें से तीन लोगों की मौत हो गई। लगातार हो रही घटनाओं के चलते जंगल किनारे बसे हेडियाला, गुंडलुपेट, सरगूर, हंसूर आदि गांवों के लोग भयभीत हैं और रात के समय घरों से निकलना तक बंद हो गया है।

बाघों का पुनर्वास

अधिकारियों ने बताया कि पकड़े गए सभी बाघ और शावक राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण National Tiger Conservation Authority के दिशा-निर्देशों के अनुसार पुनर्वासित किए जा रहे हैं। घायल बाघों का इलाज किया जा रहा है, जबकि शावकों की देखभाल विशेष केंद्रों में की जा रही है।

संरक्षण और सुरक्षा दोनों जरूरी

वन विभाग का कहना है कि बाघों की सुरक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी इंसानों की। इसलिए ऐसे अभियान भविष्य में भी जारी रहेंगे, ताकि वन्यजीव संरक्षण तथा ग्रामीण आबादी—दोनों के बीच संतुलन बनाया जा सके।

प्रमुख धकड़- पकड़

12 अक्टूबर : हेडियाला रेंज से 12 वर्षीय बाघिन पकड़ी गई। यह बाघिन पिछले कई दिनों से मवेशियों पर हमला कर रही थी।

18 अक्टूबर : नुगू रेंज से डेढ़ वर्ष की बाघिन पकड़ी गई।

27 अक्टूबर : दो नर शावक जंगल किनारे अकेले दिखे। इन्हें बचाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया।28 अक्टूबर : हेडियाला रेंज से 6 वर्षीय बाघिन को पकड़ा गया। बाघिन कई दिनों से गांव के आसपास दिखाई दे रही थी।

5 नवंबर : हेडियाला रेंज से ही डेढ़ वर्ष का नर बाघ पकड़ा गया।9 नवंबर : वन विभाग ने मोलयूर रेंज से करीब 12 वर्षीय घायल बाघ को पकड़ा।

10 नवंबर : गुंडलुपेट रेंज के कल्लहल्ली से 4 वर्षीय बाघिन और उसके तीन शावक पकड़े गए। यह परिवार लगातार मवेशियों पर हमला कर रहा था।12 नवंबर : हंसूर तालुक के एरप्पणा कोप्पलु से 8 महीने का नर शावक पकड़ा गया।

18 नवंबर : मुल्लूर क्षेत्र से तीन शावकों सहित 8 वर्षीय बाघिन पकड़ी गई।