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11 साल में राज्य की रेल परियोजनाओं के लिए आवंटन नौ गुणा बढ़ा: वैष्णव

कर्नाटक जैसे महत्वपूर्ण राज्य को 2014 से पहले केवल 835 करोड़ रुपए मिलते थे। मोदी की बदौलत अब उसे 7,500 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। इसके अलावा, कर्नाटक में 54,000 करोड़ रुपए की परियोजनाएं चल रही हैं। हम अमृत भारत योजना के तहत राज्य में 61 स्टेशनों का पुनर्विकास कर रहे हैं।

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव Ashwini Vaishnav ने रविवार को कहा कि नरेंद्र मोदी Narenda Modi के प्रधानमंत्री बनने के बाद कर्नाटक Karnataka का रेल बजट 2014 से पहले के 835 करोड़ रुपए से बढकऱ 7,500 करोड़ रुपए हो गया है।

कर्नाटक जैसे महत्वपूर्ण राज्य को 2014 से पहले केवल 835 करोड़ रुपए मिलते थे। मोदी की बदौलत अब उसे 7,500 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। इसके अलावा, कर्नाटक में 54,000 करोड़ रुपए की परियोजनाएं चल रही हैं। हम अमृत भारत योजना के तहत राज्य में 61 स्टेशनों का पुनर्विकास कर रहे हैं।

पिछले 11 वर्षों में हमारा इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन छह गुना बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इसी अवधि में निर्यात आठ गुना बढकऱ 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है।

पूरे देश को लाभ

विकसित भारत 2047 की मजबूत नींव रखने के प्रधानमंत्री के प्रयासों से कर्नाटक सहित पूरे देश को लाभ हुआ है। अगर भारत दुनिया में मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है, तो नम्मा बेंगलूरु में देवणहल्ली एक प्रमुख आईफोन निर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है।

सबसे किफायती साझा कंप्यूटिंग सुविधा

प्रधानमंत्री का विजन तकनीक का लोकतंत्रीकरण करना है। इसलिए हमारे पास भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) मिशन है और एक साझा कंप्यूटिंग सुविधा के रूप में 34,000 जीपीयू उपलब्ध हैं। बेंगलूरु इसका अधिकतम उपयोग कर रहा है। इन जीपीयू का उपयोग करने की लागत प्रति घंटे एक अमरीकी डॉलर से भी कम है। यह इसे दुनिया की सबसे किफायती साझा कंप्यूटिंग सुविधा बनाता है।

बहुभाषी विविधता को समझने में सक्षम

उन्होंने आगे कहा कि बेंगलूरु स्थित स्टार्टअप सर्वम एक स्वदेशी लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) विकसित कर रहा है। टेक्स्ट और कोड के विशाल डेटासेट पर प्रशिक्षित एक एआइ न्यूरल नेटवर्क है। यह भारतीय डेटा का उपयोग करके, पूर्वाग्रहों से मुक्त और देश की बहुभाषी विविधता को समझने में सक्षम है।

पहली मेड इन इंडिया चिप

वैष्णव ने कहा कि भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग के निर्माण का लंबे समय से देखा गया सपना 60 वर्षों के बाद साकार हुआ है। आज देश में छह सेमीकंडक्टर प्लांट निर्माणाधीन हैं, और बहुत जल्द हम इन कारखानों से पहली मेड इन इंडिया चिप का निर्माण होते देखेंगे।