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सेमीक्रायोजेनिक इंजन युक्त उन्नत एलवीएम-3 का पहला प्रक्षेपण 2027 में

एलवीएम-3 की बढ़ जाएगी पे-लोड प्रक्षेपण क्षमता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विश्वास व्यक्त किया है कि अत्यंत जटिल समझे जाने वाले सेमी क्रायोजेनिक इंजन का विकास जल्द हो जाएगा और वर्ष 2027 में इसका पहला प्रक्षेपण भी हो जाएगा।

इसरो अध्यक्ष वी.नारायणन ने कहा कि सेमीक्रायोजेनिक इंजन वाले उन्नत एलवीएम-3 का पहला प्रक्षेपण वर्ष 2027 की पहली तिमाही में करने का लक्ष्य है। इसके लिए इंजन का विकास प्रगति पर है। सेमीक्रायोजेनिक इंजन के कुल 7 परीक्षण किए जाने थे जिसमें से तीन परीक्षण पूरे हो चुके हैं। इसरो अधिकारियों के मुताबिक सेमीक्रायोजेनिक चरण का विकास भविष्य के प्रक्षेपणयानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह अत्याधुनिक और सबसे भारी रॉकेट एलवीएम-3 में स्टोरेबल इंजन (तरल चरण एल-110) की जगह लेगा। सेमीक्रायोजनिक चरण का वजन लगभग 200 टन होगा। इसमें 120 टन प्रणोदक होंगे और यह वैक्यूम में 200 टन का थ्रस्ट पैदा करेगा।

एल-110 की जगह लेगा सेमीक्रायोजेनिक इंजन

उन्नत एलवीएम-3 में एल-110 की जगह सेमीक्रायोजेनिक इंजन और क्रायोजेनिक इंजन सी-25 की जगह सी-32 लेगा। इससे रॉकेट की पे-लोड क्षमता काफी बढ़ जाएगी। अभी एलवीएम-3 अधिकतम चार टन वजनी उपग्रहों को भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित करने की योग्यता रखता है। सेमी क्रायोजेनिक इंजन के विकास के बाद वह अधिक ताकतवर हो जाएगा और 6 टन वजनी उपग्रहों को जीटीओ में पहुंचाने की योग्यता हासिल कर लेगा। आगे चलकर इसका प्रयोग इसरो के नए प्रस्तावित रॉकेट एनजीएलवी में भी होगा।