गारंटी योजनाओं के चलते बढ़ते राजकोषीय बोझ को देखते हुए सरकार ने सभी पांचों गारंटी योजनाओं के नियमित ऑडिट के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने गारंटी योजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान मृत लाभार्थियों तक गारंटी योजनाओं का लाभ पहुंचने और भुगतान किए जाने की बात सामने आई।
अधिकारियों के मुताबिक गृह लक्ष्मी योजना के तहत अब तक लगभग 1.24 करोड़ लाभार्थियों को कुल 50 हजार 5 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इनमें से 1.44 लाख महिलाएं जो पहले लाभार्थियों के रूप में सूचीबद्ध थीं, अब इस दुनिया में नहीं हैं। इससे सवाल यह उठता है कि क्या मृतकों के नाम पर भुगतान जारी रहा। इन तथ्यों के सामने आने पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को पंचायत स्तर पर हर महीने मृतक लाभार्थियों की सूची अपडेट करने, बैंकों को इसकी जानकारी भेजने और मृत लाभार्थियों के नाम सूची से हटाने का निर्देश दिया। राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अब तक पांच गारंटी योजनाओं पर कुल 97 हजार 813 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। गृह लक्ष्मी योजना के 1.24 करोड़ लाभार्थियों के लिए 50 हजार 5 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। गृह ज्योति योजना के तहत 1.64 करोड़ लाभार्थियों के लिए 18 हजार 139 करोड़ रुपए, युवा निधि योजना के तहत 2.55 लाख लाभार्थियों के लिए 623 करोड़ रुपए, शक्ति योजना के तहत 13 हजार 903 करोड़ रुपए और अन्न भाग्य योजना के तहत 11 हजार 821.17 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि क्या किसी मृतक लाभार्थी को भुगतान जारी रहा? अगर ऐसा है तो ऐसी विसंगतियों को तुरंत ठीक किया जाए। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि सभी गारंटी योजनाओं का नियमित रूप से ऑडिट किया जाए और लाभार्थियों की सूची को पंचायत स्तर पर हर महीने जोडऩे और हटाने के लिए अद्यतन किया जाए। उन्होंने अधिकारियों से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वाले लाभार्थियों के लिए पात्रता नियमों को स्पष्ट करने और पंचायत स्तर पर अपात्र बीपीएल कार्डों की पहचान कर उन्हें रद्द करने के लिए एक सख्त प्रणाली स्थापित करने को कहा। अन्न भाग्य योजना के तहत चावल आवंटन के दुरुपयोग की भी बात सामने आई। अधिकारियों से कहा गया कि योजना के तहत दिए जाने वाले चावल की बाजारों में बिक्री रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि क्या कुछ क्षेत्रों में चावल के बजाय ज्वार या रागी जैसे क्षेत्र-विशिष्ट अनाज वितरित किए जा सकते हैं। सरकारी अधिकारियों को स्पष्ट मानक निर्धारित करने और उनका कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए।
दरअसल, गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन से राज्य के संसाधनों पर दबाव बढ़ा है और राजकोषीय घाटे के साथ-साथ राज्य सरकार पर ऋण का बोझ भी बढ़ा है। हाल ही में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जहां राज्य का राजस्व 1.86 प्रतिशत बढ़ा, वहीं राजस्व व्यय 12.54 प्रतिशत बढ़ गया। इसका मुख्य कारण गारंटी योजनाएं हैं। इससे राज्य सरकार पर ऋणों का बोझ बढ़ा और 63 हजार करोड़ रुपए का शुद्ध उधार बाजार से लेना पड़ा। निकट भविष्य में न सिर्फ ऋणों के पुनर्भुगतान का बोझ बढ़ेगा, बल्कि राज्य पर ब्याज का बोझ भी बहुत बढ़ जाएगा।
Published on:
19 Sept 2025 06:59 pm
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