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अगले डेढ़ दशक में 100 से अधिक उपग्रह लांच करेगा इसरो

केवल भूमि-आधारित अनुप्रयोगों के लिए होंगे 80 उपग्रह ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश ने महसूस की है अधिक उपग्रहों की आवश्यकता

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ऑपरेशन सिंदूर में इमेज इंटेलिजेंस, सिग्नल इंटेलिजेंस, लोकेशन और टाइमिंग सेवाओं के साथ उपग्रह संचार आदि की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, अगले डेढ़ दशक के दौरान बड़े पैमाने पर उपग्रह लांच करने की योजना तैयार की गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने न सिर्फ 100 से अधिक उपग्रह लांच करने का रोडमैप तैयार किया है, बल्कि ऑप्टिल उपग्रह तकनीक पर काम कर रहा है, जो बड़े भू-भाग की हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरें मुहैया कराए। वहीं, सिग्नल इंटेलिजेंस, किसी खास इलाके की निरंतर निगरानी, ऑप्टिकल संचार, सॉफ्टवेयर-डिफाइंड सैटेलाइट (एसडीएस), अभेद्य और क्वांटम एन्क्रिप्टेड संचार के साथ अंतरिक्ष स्थिति की जागरूकता पर काफी काम हो रहा है।

इसरो ने अपनी गतिविधियों में तेजी लाते हुए कहा है कि अगले डेढ़ दशकों में 80 से अधिक उपग्रह केवल भू-अवलोकन के लिए लांच किए जाएंगे। भू-अवलोकन आधारित आंकड़े जुटाने, उपग्रह आधारित संचार और नेविगेशन संबंधी जरूरतों को पूरी करने के लिए 100 से अधिक उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किए जाएंगे। ये सभी मिशन गगनयान, चंद्रयान, मंगलयान, शुक्र या वैज्ञानिक मिशनों के अलावा लांच किए जाएंगे। अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने हाल ही में कहा कि भले ही कहने में 100 से अधिक उपग्रह मिशन ज्यादा लगते हैं, लेकिन यह 2040 तक का लक्ष्य है। अगर हर साल 8 से 10 मिशन लांच करें, तो यह आसानी से हासिल कर लिया जाएगा।

परिवर्तन के दौर से गुजर रहा अंतरिक्ष क्षेत्र

दरअसल, अभी तक इसरो एक साल में सभी तरह के मिशनों को मिलाकर लगभग 5-6 मिशन ही लांच कर पाया है। सिर्फ 2016 में इसरो ने एक साल में 9 मिशन लांच किए थे। अब इसरो अध्यक्ष वी.नारायणन ने गतिविधियां तेज करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। हमारी समय-सीमा हमारे देश की आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए। धीरे-धीरे, लेकिन निश्चित रूप से, ये मिशन देश के लिए बहुत लाभकारी साबित होंगे। इसरो अधिकारियों का कहना है कि कई महत्वपूर्ण उपकरणों को लेकर अभी तक विदेशी निर्भरता थी, जिसके कारण महत्वपूर्ण प्रणालियों की आपूर्ति पर असर पड़ता था। इसके कारण बड़ी संख्या में उपग्रहों का उत्पादन और प्रक्षेपण एक चुनौती रही। स्पेस इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और कुछ उच्च-स्तरीय उपकरणों का स्वदेशी विकास, साथ ही बड़े पैमाने पर उत्पादन जरूरी है। इसरो ने इस दिशा में काफी प्रयास किया है और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।

भू-अवलोकन उपग्रहों पर फोकस

इसरो अगले 15 वर्षों में जिन 100 से अधिक उपग्रहों के प्रक्षेपण की योजना बनाई गई है, उनमें से अधिकांश भू-अवलोकन उपग्रह होंगे। इनमें से लगभग 80 केवल भूमि-आधारित अनुप्रयोगों के लिए समर्पित होंगे, जबकि अन्य महासागरीय और वायुमंडलीय अनुप्रयोगों को सक्षम करेंगे। इसरो ने इस दौरान 16 प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशनों की भी योजना बनाई है, जो अत्याधुनिक और बढ़ती क्षमताओं का निर्माण और प्रदर्शन करेंगे। इनके अलावा, कई संचार और नेविगेशन उपग्रहों के प्रक्षेपण की भी उम्मीद है।