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राजस्थान में इस समाज ने शादी में लगाए कई प्रतिबंध, न मानने पर भरना होगा जुर्माना, जानिए क्या हैं नए नियम?

Rajasthan : राजस्थान के बांसवाड़ा में इस समाज ने शादी में कई प्रतिबंध लगाए। अब शादी में ढोल, कुंडी और शहनाई ही गूंजेगी, डीजे की धमचक थमेगी। जानिए क्या हैं नए नियम?

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Rajasthan This community imposed several restrictions on marriage If do not follow rules pay a fine Know new rules

भील समग्र विकास परिषद् की बैठक में मौजूद लोग। फोटो पत्रिका

Rajasthan : कुशलगढ़ में भील समग्र विकास परिषद् की ओर से आयोजित समाज सुधार बैठक में समाज के विभिन्न सुधारों पर चर्चा की गई। सामाजिक नियमों के तहत शादी समारोह में अब डीजे पर प्रतिबंध रहेगा और ढोल, कुंडी और शहनाई ही गूंजेगी। विवाह भोज में दाल, चावल और मीठे में लपसी ही परोसेंगे। बैठक की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष रूपजी बारिया ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व संसदीय सचिव भीमा भाई डामोर उपस्थित थे। इस बैठक में समाज के कई जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और सरपंच भी मौजूद रहे। बैठक में समाज सुधार से जुड़ी महत्वपूर्ण समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की गई।

समाज में बढ़ती फिजूलखर्ची और दहेज प्रथा चिंताजनक - रूपजी बारिया

अध्यक्ष रूपजी बारिया ने संबोधन में कहा कि समाज में बढ़ती फिजूलखर्ची, दहेज प्रथा और डीजे संस्कृति जैसी परंपराएं चिंताजनक हैं। उन्होंने समाज में इनका विरोध करने की अपील करते हुए कहा कि इन परंपराओं को समाप्त करना बेहद जरूरी है, ताकि हमारी पारंपरिक भील संस्कृति सुरक्षित रह सके। उन्होंने कहा कि समाज सुधार के लिए प्रशासन के माध्यम से इन बिंदुओं को हर गांव में लागू करवाने का प्रयास किया जाएगा।

समाज में सुधार की आवश्यकता - भीमा भाई डामोर

मुख्य अतिथि भीमा भाई डामोर ने समाज में सुधार की अत्यधिक आवश्यकता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो हमारी संस्कृति पर अन्य संस्कृतियों का दबाव बढ़ सकता है, जिससे हमारी परंपराएं कमजोर हो सकती हैं। उन्होंने दहेज प्रथा, डीजे प्रथा और अनावश्यक सोने-चांदी की खरीदारी पर प्रतिबंध लगाने की बात कही।

फिजूलखर्ची को रोकने के लिए प्रभावी कदम

मृत्यु भोज को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। अब यह केवल एक ही दिन में सम्पन्न होगा, जिसमें केवल दाल-चावल और भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। इस प्रकार के बदलाव समाज में शांति और अनुशासन को बढ़ावा देंगे। कार्यक्रम का संचालन प्रेमसिंह गणावा और जोहानसिंह देवड़ा ने किया, जबकि आभार राकेश पारगी ने व्यक्त किया।

बैठक में बहादुर सिंह डामोर, सरदार सिंह कटारा, धर्मेंद्र आर्य, भारत सिंह डिंडोर, जसवंत सिंह भाभोर, लालाराम बारिया, मदन सिंह, धीरज डामोर, कमलेश, बादर सिंह, राकेश देवड़ा, राजमोहन सहित अन्य समाजसेवी भी उपस्थित रहे।

नाबालिग विवाह और सामाजिक अनुशासन

बैठक में यह भी तय किया गया कि नाबालिगों के नातरे को समाज द्वारा अस्वीकार्य घोषित किया गया है, और ऐसे मामलों में दोषी व्यक्ति को समाज से बाहर कर दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि कोई शादीशुदा व्यक्ति किसी अन्य के साथ भागता है, तो उस पर 5 लाख तक का जुर्माना लगेगा।

विशेष रूप से, यदि कोई सरपंच कुंवारी लड़की से शादी करता है या उसे भगाता है, तो उस पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। सरकारी कर्मचारी के ऐसा करने पर 10 लाख रुपए का दंड निर्धारित किया गया है।

सादगीपूर्ण विवाह को बढ़ावा देने की पहल

यह तय किया कि विवाह में पीहर पक्ष की ओर से 51,000 रुपए से अधिक नहीं दिया जाएगा। वधू पक्ष को वर पक्ष से डेढ़ किलो चांदी और सोने में केवल कानफूल और नथ ही देंगे। विवाह भोज में केवल दाल, चावल और मीठे में लपसी परोसी जाएगी। शादी में डीजे बजाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा और उल्लंघन करने पर 5 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

इसके अलावा, पारंपरिक वाद्ययंत्र जैसे ढोल, शहनाई और कुंडी का ही प्रयोग होगा। अन्य वाद्ययंत्रों के उपयोग पर 1 लाख तक जुर्माना होगा। बारात केवल बस से जाएगी व जीप व अन्य छोटे वाहन पर प्रतिबंध रहेगा।