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Rajasthan Urea Crisis : सरकारी स्टॉक में है यूरिया मौजूद, पर बाजार से क्यों गायब है खाद?

Rajasthan Urea Crisis : बांसवाड़ा जिले में रबी फसलों के लिए यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सरकारी स्टॉक में यूरिया है मौजूद, पर बाजार से क्यों गायब खाद? डालिए एक नजर।

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Rajasthan Urea Crisis government stock Available but why is fertilizer missing from market

बांसवाड़ा शहरी क्षेत्र में स्थित खाद की दुकानें पर खड़ा किसान। फोटो पत्रिका

Rajasthan Urea Crisis : बांसवाड़ा जिले में रबी फसलों के लिए यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जिले में 417 मैट्रिक टन यूरिया वेयरहाउस में, 131 मैट्रिक टन होलसेलर के पास, 338 मैट्रिक टन रिटेलर के पास और 1203 मैट्रिक टन परिवहन रास्ते में बताया गया है, जबकि बाजार में खाद उपलब्ध ही नहीं है। किसान शहर से लेकर गांवों तक खाद वितरण केन्द्रों के चक्कर लगा रहे हैं।

यह अंतर सामने आने के बावजूद जिम्मेदार सरकारी एजेंसियां और प्रशासन, खाद वितरण का संतुलन बनाने में कामयाब नहीं हो पा रहा है। थोक व्यापारियों ने बताया कि कंपनियां ज्यादातर माल रेलवे स्टेशनों की रैक तक ही छोड़ती हैं। बांसवाड़ा जिले में खाद की आपूर्ति के लिए पड़ोसी रतलाम, चित्तौडगढ़ या दाहोद में रैक लगती हैं। वहां तक खाद आने के बाद ही यूरिया की आपूर्ति जिले में हो पाती है। वर्तमान में खाद की रैक अभी नहीं लगी है। इस सप्ताह या अगले तक लगने की संभावना है।

केस-1
बांसवाड़ा शहर के रतलाम रोड पर निजी बस स्टैंड से आगे निजी विक्रेता की दुकान के बाहर दुकानदार सहित कुछ लोग शुक्रवार दोपहर गपशप कर रहे थे। एक बैग यूरिया मांगने पर बोले- 10 तारीख के बाद आना।

केस-2
उदयपुर रोड पर विद्युत कॉलोनी के सामने एक थोक विक्रेता दुकान पर बैठे थे और चार-पांच ग्राहक भी मौजूद थे। उनसे एक बोरी यूरिया मांगने पर बोले, बीज चाहिए तो ले जाओ। यूरिया न तो है और न ही यह पता है कि कब तक आएगा।

केस-3
महाराणा प्रताप सर्कल के निकट स्थित एक और थोक विक्रेता की दुकान खाली पड़ी थी। मालिक बाहर थे। दो कर्मचारी बैठे हुए थे। यहां भी यूरिया की डिमांड की तो दोनों कर्मचारियों ने साफ मना कर दिया। बोले- फिलहाल यूरिया है नहीं।

यूरिया के दामों की हकीकत

1- सरकार की निर्धारित कीमत : 266.50 रुपए प्रति बैग
2- बाजार में बिक रहा : 450-500 रुपए या उससे अधिक दर पर
नतीजा : किसान मजबूरी में ऊंचे दाम पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं। खाद समय पर नहीं मिला तो गेहूं, जौ, चना और सरसों जैसी फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

किसानों की शिकायतें कोई नहीं सुन रहा

किसानों ने जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। हाल ही में भील प्रदेश किसान मोर्चा ने भी प्रशासन को प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

इन इलाकों में कलबाजारी की शिकायतें

सज्जनगढ़, कुशलगढ़, बागीदौरा सहित जिले के अधिकांश क्षेत्रों में सहकारी समितियों (लेम्पस) पर यूरिया उपलब्ध नहीं, कुछ निजी विक्रेता और कथित थोक व्यापारी कालाबाजारी कर रहे हैं। कालाबाजारी करने वाले डीलरों के लाइसेंस अस्थायी तौर पर रद्द करके विभाग भी खानापूर्ति कर रहा है।


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