Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

शिक्षा से बदली तस्वीर, जीवनस्तर सुधरा, विकास को गति मिली

शिक्षा के द्वारा वर्तमान में जनजाति आदिवासियों की तस्वीर बदल रही है। एक तरफ शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों में सुधार के साथ, कुछ आदिवासी समुदायों में जीवन स्तर में सुधार देखा जा रहा है।

बारां

Mukesh Gaur

Aug 09, 2025

शिक्षा के द्वारा वर्तमान में जनजाति आदिवासियों की तस्वीर बदल रही है। एक तरफ शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों में सुधार के साथ, कुछ आदिवासी समुदायों में जीवन स्तर में सुधार देखा जा रहा है।
source patrika photo

विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष : बदल रही आदिम जनजाति समाज के लोगों की ङ्क्षजदगी, दूर हो रही गरीबी

हेमराज राठौर/हरिसिंह हाड़ा

केलवाड़ा/शाहाबाद. जिले में किशनगंज-शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र में दोनों पंचायत समिति क्षेत्र में जनजाति के तौर सहरिया, भील, मीणा आदि निवास करते हैं। वहीं शिक्षा के द्वारा वर्तमान में जनजाति आदिवासियों की तस्वीर बदल रही है। एक तरफ शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों में सुधार के साथ, कुछ आदिवासी समुदायों में जीवन स्तर में सुधार देखा जा रहा है। दूसरी तरफ, विस्थापन, भूमि अधिग्रहण और सांस्कृतिक क्षरण जैसी चुनौतियां भी बनी हुई हैं, जो उनके जीवन को अब भी प्रभावित कर रही हैं। अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं सहरिया परियोजना अधिकारी जब्बर ङ्क्षसह ने बताया कि बारां जिले में आदिवासियों के लिए 37 छात्रावास 8 आवासीय विद्यालय 319 मांबाड़ी, जिले में पीएम जनमन के माध्यम से केंद्र सरकार के द्वारा 21000 आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से वर्तमान में 8000 आवास पूर्ण हो चुके हैं। जिले में 18 मल्टीपरपज सेंटर बनने हैं। इनमें से आठ तैयार हो चुके हैं। 8 नए हॉस्टल स्वीकृत हुए, जिनमें से चार का काम चल रहा है। जनजाति क्षेत्र में पीएम जनमन के माध्यम से 16023 विद्युत कनेक्शन सरकार के द्वारा करवाए गए हैं। 1980 से सानवाड़ा सहरिया बस्ती में लाइट नहीं होने पर वहां पर 40 घरों में विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। बीलखेड़ा डांग में नेटवर्क की समस्या के चलते पीएम जनमन के माध्यम से मोबाइल टावर लगवाकर नेटवर्क सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

शिक्षा से ही आगे बढ़ेगा सहरिया समाज

जिला न्यायालय विभाग में प्रोसेस सर्वर के पद पर सेवारत जयराम सहरिया ने बताया कि उन्होंने वर्ष 1996 में न्यायालय विभाग में चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी पद पर नियुक्ति मिली थी। तब उनके माता-पिता ने मेहनत मजदूरी करके उन्हें पढ़ाया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने बच्चो की पढ़ाई पर भी ध्यान दिया। एक बच्चा बीएड तथा दूसरा एसटीसी कर रहा है। उन्होंने बताया कि बिना शिक्षा के किसी भी समाज का उत्थान संभव नही है। पूर्व में शिक्षा के प्रति इतनी चेतना नही थी। लेकिन बीते दो दशको में सहरिया समाज के काफी बच्चे पढ़लिखकर सरकारी नौकरियों में हंै। इसमें सर्वाधिक पुलिस तथा राजस्व विभाग में सेवारत हंै।

जिले में 400 सहरिया पुलिस सेवा में मौजूद

जिले में सहरिया समाज के अधिकांश युवा पुलिस सेवा में अपनी सेवाए दे रहे है। बारां में तेनात पुलिसकर्मी सीयाराम सहरिया ने बताया कि वह 2003 में पुलिस सेवा में आए थे। जब वे प्रथम वर्ष में पढ़ाई करते थे। उनके बड़े भाई शिवशंकर सहरिया भी पुलिस सेवा में ही है। उन्होंने कहा कि समाज शिक्षा के उजियारे से ही आगे बढ़ पा रहा है। वर्तमान में सरकार भी शिक्षा को लेकर समाज को कई सुविधाएं दे रही है। पुलिस सेवा में आकर उन्हें देश सेवा का जज्बा जगा है।

विकास के लिए इन बिंदुओं पर हो रहा काम

शिक्षा : कई आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है, और अधिक बच्चे स्कूल जा रहे हैं। सरकार, गैर सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न शिक्षा कार्यक्रम, आदिवासी बच्चों को बेहतर अवसर प्रदान करने में मदद कर रहे हैं।

स्वास्थ्य : स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण आदिवासी समुदायों में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों की स्थापना से आदिवासी लोगों को सुविधाएं मिल रही हैं।

आर्थिक अवसर : कुछ आदिवासी समुदायों ने हस्तशिल्प और कृषि, पशुपालन जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों का लाभ उठाना शुरू कर दिया है। इससे उनकी आय में वृद्धि हुई है और जीवन स्तर सुधरा है।

सांस्कृतिक संरक्षण : कुछ आदिवासी समुदाय अपनी संस्कृति और परंपराओं को बचाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। वे अपनी भाषा, कला, संगीत और नृत्य को पुनर्जीवित करने और आने वाली पीढिय़ों को हस्तांतरित करने के प्रयास कर रहे हैं।

परिवहन और सडक़ : सडक़ योजना में स्वीकृत 32 मार्ग में से 3 पूर्ण हो गए। 9 पर कार्य प्रगति पर है। 14 की निविदा निकाली गई हैं। 7 स्वीकृति के लिए डली हैं।

बहुउद्देश्यीय केन्द्र : मल्टी पर्पज सेंटर निर्माण योजना के तहत एक छत के नीचे ही आजीविका विकास के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।

बिजली : जिले में 16023 सहरिया परिवारों के कनेक्शन कर बस्ती के घरों को रोशन किया है।

आवास : विभिन्न योजना और उनके कार्य पीएमजनमन आवास योजना में चल रहे हैं। कुल स्वीकृत 21850 में से 8396 आवास पूरे कर लिए गए हैं।

बच्चों के लिए छात्रावास खोलने से शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा बदलाव देखने को मिला है। गांवों में रोजगार नहीं होने से लोग रो•ागार के लिए पलायन कर जाते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। सरकार प्रभावी कदम उठाए।

श्रीपत राम सहरिया, पटवारी

भील समाज किशनगंज एवं शाहाबाद तहसील में 55 गांव में हैं। शिक्षा की वजह से ही समाज में व्याप्त कुरीतियां एवं नशे से भी धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं। इन छात्रावास में अगर भील समाज को भी जोड़ दिया जाए। तो शिक्षा में सुधार आएगा।

राकेश कुमार भील, समाजसेवी

शिक्षा से समाज में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। सहरिया बस्ती में चल रहे अवैध शराब की दुकान अगर बंद हो तो समाज में आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिलेगा। हालांकि सरकार की योजनाओं को लेकर रुझान बढ़ा है। इससे फायदा हो रहा है।

नंदकिशोर सहरिया, अध्यापक

समाज के लोग शिक्षा का महत्व समझाने लगे हैं। इसके कारण युवक एवं युवतियां नौकरी में लग रहे हैं। सरकार की ओर से चलाई जा रही सहरिया परियोजना एवं संचालित छात्रावास एवं आरक्षण से यह सब संभव हुआ है।

सौभाग चंद सहरिया, अध्यापक

केंद्र सरकार द्वारा संचालित पीएम जनमन योजना के माध्यम से सहरिया परिवारों को रहने के लिए पक्का आवास दिया जा रहा है। साथ-साथ पेयजल, विद्युत, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य से संबंधित 11 विभाग जीवन सुधारात्मक कार्य कर रहे हैं।

राजेश सहरिया, वीडीओ

सरकार के प्रयास से छात्रावास खुलने से सहरिया आदिम जनजाति में शिक्षा की ओर ध्यान आकर्षित हुआ है। आरक्षण मिलने से कुछ समाज के लोग थर्ड ग्रेड की नौकरी में आए हैं। सरकार को कुछ प्रशासनिक सेवाओं में भी आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।

रामदयाल सहरिया, जिला अध्यक्ष, सहरिया कर्मचारी संघ