
गिरफ्तार किए गए तस्कर व हाथाजौड़ी (फोटो: पत्रिका)
Forest Department Big Action: वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो नई दिल्ली से प्राप्त गोपनीय सूचना के आधार पर वन विभाग बारां ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील वन्यजीव अपराध नियंत्रण कार्रवाई को अंजाम देते हुए तस्करों से 48 हाथाजोड़ी (हेमीपेनिस ऑर्गन) जब्त कर 4 आरोपीयो को गिरफ्तार किया है।
उप वन संरक्षक सुनील कुमार गोड ने बताया कि गोपनीय सूचना पर जानकारी मिली की किशनगंज क्षेत्र में कुछ व्यक्तियों द्वारा मॉनिटर लिजार्ड (गोह) के हाथाजोड़ी का अवैध व्यापार किया जा रहा था। सूचना की पुष्टि के उपरांत क्षेत्रीय वन अधिकारी बारां भूपेन्द्र सिंह हाडा, किशनगंज रेंजर दीपक शर्मा के नेतृत्व में संयुक्त टीम गठित की गई।
टीम ने किशनगंज क्षेत्र के दो अलग-अलग स्थानों पर दबिश दी, जहां छिपकर वन्यजीव अवयवों का अवैध संग्रह एवं व्यापार किया जा रहा था। कार्रवाई के दौरान कुल 48 नग हाथाजोड़ी एवं 2 ट्रैपर (वन्यजीव पकडऩे के उपकरण) जप्त किए गए साथ ही 4 आरोपी गिरफ्तार किए। जिनमें 3 राजस्थान के निवासी हैं एवं एक मध्यप्रदेश का निवासी है। रेन्जर दीपक शर्मा ने इस मामले में राजस्थान वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गठित टीम में बारां रेन्जर भूपेन्द्र सिंह हाड़ा व किशनगंज रेंजर दीपक शर्मा समेत वन रक्षक गिनता कुमारी, वैजयंती मेघवाल, दिनेश कुमार गोचर, भगवान सिंह, सिकन्दर मीणा, नवीन, गोपाल सिंह शेखावत, विकास शर्मा, शुभम शर्मा, गिर्राज शर्मा, पवन सहरिया एवं रामप्रसाद मीणा भी शामिल थे।
मॉनिटर लिजार्ड भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की शेड्यूल में शामिल अत्यंत संरक्षित प्रजाति है। इसका शिकार करना, पकडऩा, व्यापार, अवयवों का संग्रह या खरीद फरोख्त सख्त रूप से प्रतिबंधित है। शैड्यूल-1 से जुड़े अपराधों में 3 वर्ष से 7 वर्ष तक कारावास एवं जुर्माना का प्रावधान है। हाथाजोड़ी का अवैध व्यापार मुख्यत अंधविश्वास, तंत्र मंत्र, तथाकथित सौभाग्य, धन लाभ एवं शक्तिवर्धक के रूप में किया जाता है। जो कि संपूर्ण रूप से भ्रामक, अवैज्ञानिक एवं अवैध गतिविधि है।
Published on:
20 Nov 2025 09:57 am
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