Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

यहां भी आवारा श्वानों का आतंक, रास्ता पार करना मुश्किल, एक महीने में 245 मामले

अकेले बीते जुलाई माह के दौरान ही करीब 245 मामले पहुंचे। ऐसे मरीजों को जिला अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक 16 नंबर रूम में संचालित क्लिनिक पर वैक्सीनेशन किया जाता है।

बारां

Mukesh Gaur

Aug 12, 2025

अकेले बीते जुलाई माह के दौरान ही करीब 245 मामले पहुंचे। ऐसे मरीजों को जिला अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक 16 नंबर रूम में संचालित क्लिनिक पर वैक्सीनेशन किया जाता है।
source patrika photo

सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर के लिए शेल्टर होम में रखने के आदेश दिए

बारां. गली मोहल्लों में घूमने वाले आवारा श्वानों के आतंक से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेषकर रात के समय सुनसान सड$कों से रास्ता पार करना मुश्किल हो रहा है। शहर में रात्रि के समय ट्रेन से पहुंचने वाले यात्रियों को चारमूर्ति चौराहा से प्रताप चौक तक के रास्ते में भी आवारा कुत्तों से संभलकर निकलना पड़ता है। कुछ दिनों पहले लंका कॉलोनी क्षेत्र में एक कुत्ते ने बच्चों को काट लिया था। इसकी शिकायत पर नगरपरिषद की ओर से चिन्हित कुत्ते को पकड़वाकर उसे शहर से बाहर जंगल में छोड़वाया गया था। जिला अस्पताल में हर रोज कुत्तों के काटने के मरीज पहुंच रहे है। अकेले बीते जुलाई माह के दौरान ही करीब 245 मामले पहुंचे। ऐसे मरीजों को जिला अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक 16 नंबर रूम में संचालित क्लिनिक पर वैक्सीनेशन किया जाता है।

उठी मांग, शुरू किया जाए आश्रय स्थल

कुत्तों के हमले से घायल होने और रैबीज से मृत्यु के मामलों को गंभीरता से लेते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों को रिहायशी इलाकों से दूर स्थानांतरित किया जाना चाहिए और जो भी संगठन इस काम में बाधा डालेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाया जाए और वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए। कुत्तों के काटने के मामलों की सूचना देने के लिए एक हेल्पलाइन शुरू करने का भी निर्देश दिया गया है। हालांकि यह आदेश दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए दिए गए हैं, लेकिन जिले में भी कुत्तों के काटने के मामले बड़ी संख्या में आ रहे हैं। इससे जिले में भी एहतियात बरतते हुए रिहायशी इलाकों को आवारा कुत्तों से मुक्त करना चाहिए।

होता है संक्रमण

चिकित्सकों के अनुसार रैबीज, एक वायरल संक्रमण यह मुख्य रूप से कुत्तों के काटने से फैलता है। रैजीज संक्रमितों में मृत्यु दर बहुत अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल लगभग 60,000 लोगों की जान ले लेता है। इन मौतों में से 36 प्रतिशत भारत में होती हैं।

शिकायत मिलने पर मौके पर भेजते हैं टीम

सड$कों पर आवारा कुत्तों के काटने से बच्चे और बुजुर्ग घायल हो रहे हैं। लंका कॉलोनी में कुत्ते ने बच्चों को ही घायल किया था। लोगों के जीवन रक्षा के तहत जनहित में सड$कों को आवारा कुत्तों से पूरी तरह मुक्त करना चाहिए। लेकिन इसके लिए स्थायी तौर पर समर्पित बल का गठन नहीं किया हुआ है और ऐसे कुत्तों को पकडऩे के लिए ठेका भी नहीं दिया हुआ है। जिला चिकित्सालय सूत्रों के अनुसार बीते जुलाई माह के दौरान ही जिला अस्पताल में कुत्तों के काटने के करीब 245 मामले पहुंचे हैं। इस एक माह के आंकड़ों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले में आवारा कुत्तों के काटने की काफी घटनाएं हो रही है। सभी मरीजों को एंटी रैबीज वैक्सीन लगाई गई है। पिछले वर्ष जनवरी माह में जिला अस्पताल के पीछे एक कुत्ता नवजात के शव को लेकर भाग गया था। बाद में कोतवाली पुलिस ने उसे छुड़वाया और शव को दफनाने की कार्रवाई की थी। पिछले वर्ष ही मार्च माह में मांगरोल कस्बे में आवारा कुत्ते ने करीब दो दर्जन लोगों पर हमला कर दिया था।

यह हैं डॉग बाइट के लक्षण

कुत्ते के काटने के लक्षण तात्कालिक शारीरिक चोटों से लेकर संभावित संक्रमण और कई मामलों में रेबीज़ तक हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में दर्द, रक्तस्राव और त्वचा की क्षति जैसे कटने या छेद होने के घाव शामिल हैं। संक्रमण लालिमा, सूजन, दर्द में वृद्धि और घाव से मवाद या तरल पदार्थ के स्त्राव के रूप में प्रकट हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, कुत्ते के काटने के बाद रेबीज़ के लक्षण, हालांकि दुर्लभ हैं, शुरुआत में फ्लू जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं, जिसके बाद घबराहट, भ्रम और लकवा जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

कुत्तों के लिए आश्रय स्थल की व्यवस्था तो नहीं है, लेकिन नगरपरिषद की ओर से जरूरत पडऩे पर सफाईकार्मिकों की टीम बनाकर कार्रवाई की जाती है। कुछ दिनों पहले लंका कॉलोनी में बच्चों को काटने की शिकायत पर कुत्ते को पकड$कर जंगल में छुड़वाया गया था।

नरसी स्वामी, सफाई निरीक्षक, नगरपरिषद