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लापरवाही : जिले के सबसे बड़े अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं

हाल ही में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रविवार रात हुए हादसे में 8 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। इससे सबक लेते हुए सिस्टम को पूरी तरह चुस्त-दुरूस्त किए जाने की आवश्यकता है।

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बारां

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Mukesh Gaur

Oct 06, 2025

हाल ही में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रविवार रात हुए हादसे में 8 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। इससे सबक लेते हुए सिस्टम को पूरी तरह चुस्त-दुरूस्त किए जाने की आवश्यकता है।

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जिला अस्पताल के फायर फाइटिंगसिस्टम को लगा जंग

बारां. जिला अस्पताल में बरसों बाद भी माापदंडों के तहत व्यवस्थित रूप से फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं चल रहा है। वर्तमान में जिला अस्पताल में आग लगने की संभावित घटनाओं से निपटने के लिए फायर सिलंडरों से काम चलाया जा रहा है। वैसे यहां फायर अलार्म, स्मॉक डिटेक्टर लगवाए हुए है। नवजात शिशुओं के वार्ड एसएनसीयू में आग जनित हादसे रोकने के लिए विद्युत सुधार कार्य कराया गया है। इससे हादसे पर काबू पाने में काफी मदद मिल सकती है, लेकिन अग्निशमन केन्द्र के मापदंडों के तहत फायर फाइङ्क्षटग सिस्टम खराब है। इसमें कई कमियां है। हाल ही में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रविवार रात हुए हादसे में 8 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। इससे सबक लेते हुए सिस्टम को पूरी तरह चुस्त-दुरूस्त किए जाने की आवश्यकता है।

चोरी हो गए उपकरण

सूत्रों का कहना है कि जिला अस्पताल में लगे फायर सेफ्टी सिस्टम के विभिन्न प्वाइंटों पर लगे पीतल के उपकरण चोरी हो गए। एमसीएच ङ्क्षवग में पीछे की ओर लगे बॉक्स से पाइप, नोजल आदि गायब है। इसी तरह पुराने अस्पताल भवन परिसर में लगे कई उपकरणों में जंग आ गया है। इमरजेंसी वार्ड के समीप ब्लड बैंक के सामने लगे उपकरण से पाइप व पीतल की नोजल आदि गायब है। दीवारों पर नए एक्सङ्क्षटगुइशर सिलेंडर लगाए हुए है, लेकिन इनमें भी कुछ पर अवधि अंकित है तो कुछ पर नहीं है। देखरेख और सफाई का आलम यह है कि कुछ सिलेंडरों पर मकड़ी के जाले बन गए हैं।

किए रोकथाम के उपाय

आग के संभावित हादसों से निपटने के लिए पूरी तरह निगरानी रखी जा रही है। हाल ही में नए स्मोक डिटेक्टर, अलार्म व एक्सङ्क्षटगुइशर सिलंडर लगाए गए है। विद्युत स्पार्किंग से हादसे की आशंका रहती है। एमसीएच ङ्क्षवग में एसएनसीयू का विद्युत सुधार कार्य हाल ही में कराया गया है। पाइप लाइन वाला फायर सिस्टम अभी खराब है। इसे और अन्य शेष सुधार कार्य पीडब्ल्यूडी के माध्यम से कराने की प्रक्रिया चल रही है। कुछ दिनों बाद पुराने भवन के सभी वार्ड नए भवन में शिफ्ट होंगे तो वहां ऐसी समस्या नहीं रहेगी। एनओसी के लिए आवेदन किया हुआ है।

डॉ. नरेन्द्र कुमार मेघवाल, पीएमओ, जिला अस्पताल

एक्सपर्ट कमेंट : बड़ी इमारतों के लिए बेहद अहम

बहुमंजिला व बड़ी इमारतों के निर्माण के समय ही फायर फाइङ्क्षटग सिस्टम लगवाना चाहिए। इसके लिए अग्निशमन केन्द्र से प्रोविजनल एनओसी लेने का प्रावधान है। इससे नक्शा मौका निरीक्षण कर उपकरण फिङ्क्षटग कराने के स्थान व आग बुझाने के संसाधन पहुंचाने के रास्ते आदि को चिन्हित कर दिया जाता है। इसके मुताबिक निर्माण होने के बाद एक बार फिर निरीक्षण कर स्थाई एनओसी दी जाती है। यहां भी बैंक, मॉल, औद्योगिक ईकाई आदि के लिए प्रोविजनल एनओसी लेते है। कई इसे नजर अंदाज कर जाते है। जिला अस्पताल की ओर से पिछले वर्ष एनओसी के लिए आवेदन किया था, लेकिन ऑडिट में सिस्टम खराब मिला तो एनओसी नहीं दी गई। लिखित में कमियां भी बताई गई थी। परिसर में मुख्य रूप से होज रील, हाइड्रेल प्वाइंट, पानी की राइङ्क्षजग लाइन और आईसीयू में स्प्रिंगल फायर सिस्टम नहीं है। हौज पाइप भी किसी में लगे हुए है, किसी में नहीं है। इस तरह मापदंडों के तहत फायर फाइङ्क्षटग सिस्टम खराब, लेकिन एक्सङ्क्षटगुइशर सिलंडर नए खरीदे गए। अब अस्पताल की नई बन रही सात मंजिला इमारत के लिए प्रोविजनल एनओसी नहीं ली है।

उवेस शेख, अग्निशमन केन्द्र प्रभारी, नगरपरिषद