
बरेली। एसआईआर सर्वे की तेज रफ्तार के बीच शिक्षामित्रों और बीएलओ पर बढ़ते दबाव का मुद्दा एक बार फिर सामने आ गया है। गुरुवार दोपहर दमखोदा ब्लॉक के माधोपुर स्कूल में तैनात शिक्षामित्र हर प्रसाद की अचानक तबीयत बिगड़ने से हड़कंप मच गया। परिजनों का कहना है कि बीएलओ ड्यूटी के तनाव ने उन्हें हार्ट अटैक दिया, जबकि प्रशासन दावा कर रहा है कि स्थिति गंभीर नहीं है और कोई दबाव नहीं बनाया गया था।
हर प्रसाद गुरुवार दोपहर करीब 3:30 बजे सैदपुर में एसआईआर का काम पूरा कर नवाबगंज स्थित घर पहुंचे ही थे कि अचानक सीने में दर्द और घबराहट की शिकायत हुई। परिजन तुरंत उन्हें पास के अस्पताल ले गए, जहां से उन्हें रेफर कर दिया गया। इसके बाद परिजन उन्हें पीलीभीत स्थित एक निजी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच में हार्ट अटैक की पुष्टि की। फिलहाल उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
हर प्रसाद के बेटे देहित ने बताया कि उनके पिता पिछले कुछ दिनों से बीएलओ के काम को लेकर तनाव में थे।
देहित के शब्दों में उन्होंने पहले ही अधिकारियों से बीएलओ ड्यूटी से मुक्त करने को कहा था, पर किसी ने नहीं सुनी। सुपरवाइजर लगातार फोन कर रहे थे। रोज देर रात तक काम… इसी तनाव ने आज उन्हें गिरा दिया।
परिवार का कहना है कि एसआईआर के दबाव, खराब नेटवर्क और फील्ड वर्क की भागदौड़ ने हर प्रसाद को मानसिक और शारीरिक रूप से थका दिया था।
गुरुवार के हादसे से ठीक एक दिन पहले बीएलओ सर्वेश कुमार गंगवार की हार्ट अटैक से मौत के बाद पूरा जिला प्रशासन पहले ही सवालों के घेरे में है। सर्वेश की मौत को लेकर परिवार, शिक्षक संगठनों और राजनीतिक दलों ने बढ़ते दबाव को जिम्मेदार ठहराया था। ऐसे में शुक्रवार को हर प्रसाद की तबीयत बिगड़ने की खबर मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी संतोष कुमार सिंह ने कहा कि हार्ट अटैक जैसी कोई बात नहीं है। उनकी तबीयत खराब हुई थी, इसलिए भर्ती कराया गया। उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं था। फिर भी एहतियात के तौर पर उनकी ड्यूटी रिप्लेस करा दी गई है। अधिकारियों ने एसडीएम और तहसीलदार को परिजनों से बातचीत कर स्थिति की जानकारी लेने के निर्देश दिए।
हर प्रसाद की हालत इस समय स्थिर है, लेकिन दो दिनों में लगातार दो बीएलओ के स्वास्थ्य बिगड़ने से जिलेभर के शिक्षकों में चिंता बढ़ गई है। एसआईआर सर्वे की गति, रात तक जारी रहने वाले काम, नेटवर्क दिक्कतों और अफसरों के फोन दबाव की शिकायतें पहले से ही उठ रही हैं।
ऐसे में प्रशासन को अब यह साबित करना होगा कि व्यवस्था मानव-संवेदनाओं के साथ चल रही है, न कि दबाव के सहारे।
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Published on:
28 Nov 2025 09:49 am
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