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निगम में भ्रष्टाचार: गरीबों का फूड कोर्ट बना अमीरों के लूट का अड्डा! तीन करोड़ डकारे, फिर ढहा दिया स्मार्ट सिटी का सपना

स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत तीन करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया फूड कोर्ट अब भ्रष्टाचार और सांठगांठ के आरोपों में घिर गया है।

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बरेली। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत तीन करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया फूड कोर्ट अब भ्रष्टाचार और सांठगांठ के आरोपों में घिर गया है। निर्माण पूरा होने के कुछ ही महीनों बाद इस फूड कोर्ट के स्वरूप में जानबूझकर बदलाव कर एक निजी एजेंसी को फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है। नगर निगम की कार्यकारिणी सदस्य पार्षद सतीश कातिब समेत कई जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

तीन करोड़ में बना, फिर भी तोड़ डाला गया

बरेली स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 12 जुलाई 2023 को डीडीपुरम स्थित फूड कोर्ट के निर्माण का ठेका रामपुर की मैसर्स कुमार ट्रेनिंग कंपनी को दिया था। इस पर 3 करोड़ 2 लाख 49 हजार 927 रुपये की लागत आई। एजेंसी ने दिसंबर 2023 तक निर्माण कार्य पूरा कर दिया, और नगर निगम ने भुगतान भी कर दिया।
लेकिन कुछ ही महीनों में, पूरे ढांचे को तोड़कर नई रूपरेखा में बदल दिया गया। जानकारों का कहना है कि यह बदलाव किसी “निजी लाभ” के मकसद से किया गया।

सांठगांठ से एजेंसी को फायदा

फूड कोर्ट के संचालन में देरी के बाद नगर निगम ने एक ऐसी एजेंसी को जिम्मेदारी देने की तैयारी की, जिसे पहले से ही नगर निगम के अन्य विज्ञापन ठेके मिले हुए थे। सूत्र बताते हैं कि इसी एजेंसी के हित में प्रोजेक्ट के डिजाइन और ढांचे में बड़े बदलाव किए गए।

छोटे विक्रेताओं के नाम पर खेल, नामी कंपनियों को मिला स्थान

फूड कोर्ट का उद्देश्य सड़क किनारे ठेला लगाने वाले छोटे विक्रेताओं को एक व्यवस्थित जगह देना था। मगर निर्माण के बाद, इन स्टॉल्स को नामी कंपनियों को बेच दिया गया। छोटे दुकानदारों को दरकिनार कर बड़ी कंपनियों के बोर्ड लगाए गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि “फूड कोर्ट अब गरीबों का नहीं, अमीरों का मार्केट” बन गया है।

पार्षदों का विरोध और कार्रवाई की मांग

पार्षद सतीश कातिब ने कहा कि यह पूरा मामला स्मार्ट सिटी परियोजना की भावना के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी धन का दुरुपयोग कर निजी एजेंसियों को लाभ पहुंचाया गया। हमने कमिश्नर, मेयर और बरेली स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ से निष्पक्ष जांच की मांग की है। यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो मामला शासन स्तर तक ले जाया जाएगा।


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