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पारंपरिक पुलिसिंग से नहीं तकनीकी दक्षता से करना होगा साइबर अपराधियों का मुकाबला : एडीजी

डिजिटल ठगी, ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर अपराधों की बढ़ती वारदातों के बीच बरेली पुलिस लाइन स्थित रविन्द्रालय सभागार में पूरे बरेली जोन की गुरुवार को साइबर रणनीति पर विशेष कार्याशाला का आयोजन किया गया। एडीजी जोन रमित शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित जोन स्तरीय साइबर अपराध नियंत्रण गोष्ठी में न सिर्फ साइबर अपराधों की बदलती तकनीक पर गंभीर चर्चा हुई, बल्कि पूरे जोन में त्वरित कार्रवाई, तकनीकी दक्षता और समन्वय को और मजबूत करने की रूपरेखा भी तय की गई।

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बरेली। डिजिटल ठगी, ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर अपराधों की बढ़ती वारदातों के बीच बरेली पुलिस लाइन स्थित रविन्द्रालय सभागार में पूरे बरेली जोन की गुरुवार को साइबर रणनीति पर विशेष कार्याशाला का आयोजन किया गया। एडीजी जोन रमित शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित जोन स्तरीय साइबर अपराध नियंत्रण गोष्ठी में न सिर्फ साइबर अपराधों की बदलती तकनीक पर गंभीर चर्चा हुई, बल्कि पूरे जोन में त्वरित कार्रवाई, तकनीकी दक्षता और समन्वय को और मजबूत करने की रूपरेखा भी तय की गई। एडीजी ने कहा कि हाइटेक हो रहे साइबर अपराधियों से निपटने के लिये पारंपरिक पुलिसिंग के साथ-साथ तकनीकी दक्षता से मुकाबला करना होगा।

कार्यशाला को संबोधित करते हुये एडीजी ने स्पष्ट कहा कि आज साइबर अपराध किसी भी जिले की सीमाओं में बंधा नहीं है। मोबाइल नंबर, फर्जी खातों, डिजिटल वॉलेट और सोशल मीडिया के दुरुपयोग के जरिए अपराधी पूरे प्रदेश को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में पुलिस की प्रतिक्रिया भी तेज़, सटीक और तकनीकी रूप से अप टू डेट होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि हर ऑनलाइन फ्रॉड को गंभीरता से लें, 1930 हेल्पलाइन पर आई हर शिकायत को आपात संदेश समझें और पीड़ित की राशि को तुरंत ब्लॉक कराने की प्रक्रिया में देरी न हो।

तकनीकी दक्षता बढ़ाने के लिये करायें प्रशिक्षण

कार्यशाला में डीआईजी साइबर पवन कुमार ने जिलों से मिली प्रगति रिपोर्टों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि साइबर सेल में उपलब्ध डिजिटल टूल्स, ओएसआईएनटी प्लेटफॉर्म और डाटा एनालिसिस तकनीकों का पूरी क्षमता से उपयोग करें। यदि किसी जिले में तकनीकी दक्षता कम है तो तत्काल प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जायें, क्योंकि आधुनिक साइबर अपराधों का मुकाबला पारंपरिक पुलिसिंग से नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध का सबसे बड़ा हथियार जागरूकता है। जब तक जनता डिजिटल सुरक्षा के प्रति सतर्क नहीं होगी, अपराधी नए-नए तरीकों से भ्रमित करते रहेंगे। उन्होंने निर्देश दिया कि स्कूलों, कॉलेजों, बैंक संस्थानों और ग्रामीण क्षेत्रों में साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रमों की गति तेज की जाए, ताकि डिजिटल ठगी की चपेट में आने वालों की संख्या घट सके।

डीआईजी बोले फर्जी सिम कार्ड, फर्जी बैंक खातों, संदिग्ध डिजिटल वॉलेट पर चलायें अभियान

डीआईजी बरेली रेंज अजय साहनी ने कहा कि फर्जी सिम कार्ड, फर्जी बैंक खातों, संदिग्ध डिजिटल वॉलेट और अंतरराज्यीय साइबर मॉड्यूल्स पर एक संयुक्त अभियान चलाया जाये। साथ ही एनसीआरपी पोर्टल, प्रतिकूल मोबाइल नंबर ब्लॉकिंग, एनसीआरपी पोर्टल पर लंबित शिकायतों, लियन अमाउंट, अस्थायी शिकायतों और पुनः आवंटित अनुरोधों को भी विस्तृत रूप से परखा जाये। उन्होंने कहा कि सभी साइबर अपराधों में तत्काल मुकदमे दर्ज किये जायें। मोबाइल नंबर, आईएमईआई नंबर को ब्लाक कराया जाये। साइबर स्लेवरी का इस्तेमाल कर कुछ पड़ोसी देश करोड़ों की साइबर ठगी कर रहे हैं। उन्हें तकनीक के जरिये ही रोका जा सकता है। वर्कशाप में डीआईजी मुरादाबाद परिक्षेत्र मुनिराज जी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साइबर फ्राड से बचने के टिप्स दिये।

एसएसपी ने पीपीटी के माध्यम से दिया कार्यशाला में प्रस्तुतिकरण

एसएसपी बरेली अनुराग आर्य, एसपी रामपुर विद्या सागर मिश्र ने जोन की सभी टीमों को साइबर में सुधार के लिये पीपीटी के माध्यम से कार्यशाला में प्रस्तुतिकरण दिया। इस दौरान जोन के सभी जिलों के साइबर नोडल अधिकारी, साइबर क्राइम थानों के प्रभारी, जनपदीय साइबर सेल प्रभारी और 181 थानों के साइबर हेल्पडेस्क प्रभारी मौजूद रहे। कार्यशाला के अंत में एडीजी रमित शर्मा ने कहा कि साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब पुलिस, बैंकिंग संस्थान, दूरसंचार कंपनियाँ, एनपीसीआई और सभी संबंधित एजेंसियाँ एक ही दिशा में काम करें।


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