
शिकायती पत्र व सहायक आयुक्त औषधि संदीप कुमार चौधरी
बरेली। योगी सरकार में हर मंच से भले ही इंस्पेक्टर राज खत्म करने के दावे किए जाते हों, लेकिन ये हकीकत है या फसाना। कई सरकारी विभागों में इसका असर भी नजर आ रहा है, लेकिन बरेली में ड्रग विभाग ने तय कर लिया है कि कानून नहीं, इंस्पेक्टर की मर्जी से ही दवाओं का कारोबार चलेगा। किसकी दवा एजेंसी खुलेगी, किसकी बंद होगी, कौन चलाएगा कारोबार और किसके लाइसेंस पर लगेगा ताला। यह अब औषधि विभाग के नियमों से नहीं, बल्कि विभागीय अधिकारियों की पसंद और नापसंद से तय हो रहा है। बरेली के दवा कारोबारी मनोज खंडूजा ने इस पूरे मामले की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल पर मुख्यमंत्री और आयुक्त बरेली मंडल से की है। उन्होंने लाइसेंस निलंबन को बहाल कर दुकान को खोले जाने की मांग की है।
लखनऊ ड्रग एजेंसी, गली नवाबान के मालिक मनोज कुमार खंडूजा ने 19 नवंबर को मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर सहायक आयुक्त औषधि संदीप चौधरी पर कई तरह के शोषण के गंभीर आरोप लगाये हैं। उन्होंने कहा कि वह 30 सालों से ईमानदारी से दवाओं का कारोबार कर रहे हैं। ड्रग लाइसेंस विभाग ने बिना पूरी जांच और बिना सुनवाई के सीधे 30 दिन के लिए निलंबित कर दिया। उन्होंने सभी साक्ष्य उपलब्ध कराये। यहां तक कि आरोप है कि व्यापारी ने जिन मेडिकल स्टोर को माल बेचा था। उनके ई बिल भी मौजूद हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने उन दुकानदारों को धमकाया, लाइसेंस निरस्त करने की चेतावनी देकर मनमाने तरीके से मेरे खिलाफ रिपोर्ट तैयार की, जबकि लिखापढ़ी के सभी साक्ष्य मेरे पास हैं।
मनोज कुमार खंडूजा ने बताया कि 12 सितंबर को उन्हें नोटिस देकर क्रय-विक्रय के बिल, बैंक भुगतान की प्रतियां, जीएसटी रिकॉर्ड जमा करने को कहा गया था। उन्होंने ने सब कुछ नियम अनुसार जमा किया। इसके बावजूद 14 नवंबर को बिना किसी दूसरी सुनवाई के निलंबन आदेश थमा दिया गया। ड्रग विभाग ने दावा किया है कि तीन फर्मों ने बिक्री की पुष्टि नहीं की। जबकि खंडूजा ने उन फर्मों के भुगतान, बैंक एंट्री और बिल सब जमा किए थे। जब दवा कारोबारी ने सभी सबूत जमा किये थे तो व्यक्तिगत कारणों से या किसी इच्छा के पूरे न होने पर पुष्टि न होने का बहाना क्यों बनाया गया।
ड्रग विभाग ने हाल ही में तीन दुकानों के लाइसेंस निलंबित किए, लेकिन गुनीना फार्मास्यूटिकल्स के खिलाफ वही कार्रवाई न करके मामला सीधे कोर्ट में परिवाद दाखिल कर दिया। कारोबारियों में चर्चा है कि ड्रग विभाग दोहरे मापदंड अपना रहा है। क्योंकि शहर में चर्चा है कि विभाग के कुछ अधिकारियों से उनकी घनिष्ठ जान-पहचान है। परिवाद कोर्ट में जाएगा। इसमें फैसला आने में महीनों लगेंग। तब तक गुनीना फार्मास्यूटिकल्स की दुकान चलती रहेगी। अरे, बाकी दुकानदारों को ये सुविधा क्यों नहीं।
ड्रग विभाग पिछले चार महीनों से 20 से ज्यादा मेडिकल स्टोरों/एजेंसियों की जांच कर रहा है, जिन पर आगरा से दवा मंगाने का आरोप है। लेकिन सिर्फ तीन पर अब तक कार्रवाई की गई है। बाकी 17 फाइलों में जांच चल रही है। इसे बताकर कार्रवाई रुकी हुई हैं। व्यापारियों का आरोप है कि जिनसे विभाग खुश है, उनकी फाइल ठंडी। जिनसे नाराज, उनके लाइसेंस सस्पेंड। मनोज खंडूजा ने बताया कि वह 65 वर्ष के बुजुर्ग व्यापारी हैं। सहायक आयुक्त औषधि की धमकियों और शोषण की वजह से बीमार हो गये हैं। उनके साथ कुछ भी अप्रिय होता है। इसकी पूरी जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों की होगी।
सहायक आयुक्त औषधि संदीप कुमार चौधरी ने कहा कि ड्रग इंस्पेक्टर रिपोर्ट देते हैं, उसी के आधार पर कार्रवाई होती है। तीन दुकानों पर कार्रवाई हुई है, गुनीना फार्मास्यूटिकल्स का मामला कोर्ट में है। बाकी अन्य दुकानों की जांच रिपोर्ट आते ही कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि दुकानों पर कार्रवाई नियमानुसार की गई है। किसी का भी शोषण नहीं किया जा रहा है। आरोप बेबुनियाद हैं, लेकिन व्यापारियों का कहना है रिपोर्ट ही जब इंस्पेक्टर राज की मर्जी से बनेगी, तो निष्पक्ष कार्रवाई की उम्मीद किससे की जा सकती है।
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Updated on:
24 Nov 2025 04:15 pm
Published on:
24 Nov 2025 04:11 pm
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