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मुंबई घाटकोपर में गूंजा नारा ए तकबीर, फरमान मियां बरेली ने दिया अमन मोहब्बत और इंसानियत का पैगाम

मुंबई महानगर के घाटकोपर क्षेत्र आस्था, आध्यात्मिकता और भाईचारे का समागम दिखा। जब एक लाख से अधिक लोगों ने “जुलूस-ए-गौसिया” में हिस्सा लिया। यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का एक सशक्त उदाहरण भी बना।

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बरेली। मुंबई महानगर के घाटकोपर क्षेत्र आस्था, आध्यात्मिकता और भाईचारे का समागम दिखा। जब एक लाख से अधिक लोगों ने “जुलूस-ए-गौसिया” में हिस्सा लिया। यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का एक सशक्त उदाहरण भी बना।

इस ऐतिहासिक जुलूस की क़यादत (नेतृत्व) फ़रमान हसन ख़ान (फ़रमान मियाँ बरेली) ने किया, जो जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव, क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान के दामाद और आला हज़रत ताजुश्शरिया सोसाइटी के संस्थापक हैं। फ़रमान मियाँ बरेली के आगमन पर हजारों की भीड़ ने नारे-ए-तक़बीर और नारे-ए-रिज़ा के नारों से पूरा माहौल गूंजा उठा।

जुलूस-ए-गौसिया घाटकोपर की गलियों से होते हुए निर्धारित मार्गों पर गुज़रा। सभी प्रतिभागी सुगठित पंक्तियों में, हाथों में झंडे और तख्तियाँ लेकर चल रहे थे जिन पर महान सूफी संतों की शिक्षाओं और संदेशों को प्रदर्शित किया गया था। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे, जहाँ फूलों की वर्षा से जुलूस का स्वागत किया गया।

विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए फ़रमान मियाँ बरेली ने कहा कि “महान सूफी संतों की शिक्षाएँ हमें , प्रेम और परस्पर सम्मान का मार्ग दिखाती हैं। आज के दौर में जब समाज को नफरत से बाँटने की कोशिशें हो रही हैं, हमें चाहिए कि हम इंसानियत और अमन का पैग़ाम फैलाएँ।”

इस अवसर पर मुंबई और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में उलेमा, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक उपस्थित रहे। आयोजन समिति की ओर से सुरक्षा, यातायात और साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई थी। मुंबई पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने जुलूस को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने में सराहनीय भूमिका निभाई। कार्यक्रम के समापन पर सामूहिक दुआ की गई, जिसमें देश में अमन-चैन, तरक्की और सामाजिक एकता की कामना की गई।