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देशभक्ति की ललक जागते ही छोड़ दिया था अंग्रेजी हुकूमत का साथ, आजाद हिंद फौज के सिपाही बनकर लड़े राजस्थान के खुशालसिंह

दे दी हमें आजादी: आजादी के आंदोलन में कई ऐसे सपूत रहे जिन्होंने अपने साहस और देशभक्ति से इतिहास में छाप छोड़ी। उन्हीं में से एक थे राजस्थान के खुशालसिंह राठौड़।

Freedom fighter Khushal Singh Rathore
खुशालसिंह राठौड़। फोटो: पत्रिका

Freedom fighter Khushal Singh Rathore: आजादी के आंदोलन में कई ऐसे सपूत रहे जिन्होंने अपने साहस और देशभक्ति से इतिहास में छाप छोड़ी। उन्हीं में से एक थे बाड़मेर जिले के शिव उपखंड के धारवी कला निवासी खुशालसिंह राठौड़।

स्वतंत्रता सेनानी खुशालसिंह राठौड़ ने ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती होकर विदेशी मोर्चों पर लड़ाई लड़ी, लेकिन देशभक्ति की ललक जागते ही अंग्रेजी हुकूमत का साथ छोड़ नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए।

धारवी कला निवासी बहादुरसिंह बताते हैं कि उनके पिता द्वितीय विश्व युद्ध के समय खुशालसिंह फरवरी 1941 में राजपूत रेजीमेंट में भर्ती हुए। उन्हें सिंगापुर, हांगकांग, जापान में भेजा। तब उनके मन में यह भावना आई अपना देश ही गुलाम है तब अंग्रेजों के लिए क्यों लड़ें। संघर्ष के दौरान ब्रिटिश सेना ने आजाद हिंद फौज के सिपाहियों को बंदी बना लिया। खुशाल सिंह को कलकत्ता और दिल्ली की जेलों में रखा गया।

गांव में उनके नाम से स्कूल

आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे खुशाल सिंह का जन्म 1915 में धारवी कला ग्राम में हुआ।आजादी के बाद उन्होंने गांव में साधारण जीवन बिताया और वर्ष 1987 में 72 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। गांव के व्याख्याता अशोकसिंह चारण के अनुसार, उनके नाम से गांव का उच्च माध्यमिक विद्यालय संचालित है। उनकी पत्नी उदयकंवर को वर्तमान में पेंशन मिल रही है। खुशालसिंह के बहादुरसिंह और इंद्रसिंह दो पुत्र हैं। बहादुरसिंह बताते हैं कि उनके पिता उन्हें आजादी की लड़ाई के किस्से सुनाया करते थे।