राजस्थान में जीरा की कीमतों में निरंतर गिरावट से किसानों, स्टॉकिस्ट व्यापारियों की कमर टूट गई है। जीरा की कीमत रिकॉर्ड 65 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच, अब घटकर 18 हजार रुपए होने से इनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। खाड़ी और यूरोपीय देशों में बेहद कमजोर मांग पर कीमत में निरंतर कमी पर व्यापारी खरीदारी नहीं कर रहे हैं। इससे किसानों के सामने आगे कुआं-पीछे खाई सी स्थिति हो गई है।
जिला बाड़मेर, बालोतरा का वातावरण नगदी जीरा फसल के लिए अनुकूल होने, इस फसल की कीमत अच्छी मिलने पर अधिकांश किसान इसकी बुवाई करते हैं। इससे की अच्छी आमदनी प्राप्त हों। एक अनुमान के तौर पर बाड़मेर, बालोतरा क्षेत्र में प्रतिवर्ष 2 लाख से अधिक हेक्टेयर से भू भाग में किसान इसकी खेती करते हैं, लेकिन अब इसके भावों में निरंतर गिरावट से उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
पिछले तीन-चार वर्षो में खादी, यूरोपीय देशों में जीरा की जबरदस्त मांग पर इसकी कीमत ने आसमान की ऊंचाइयों तक छुआ था। करीब 4 वर्ष पहले रिकॉर्ड 65 हजार रुपए प्रति क्विंटल कीमत से जीरा बिका। इससे किसान मालामाल हो गए। इसके बाद कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हुआ, जो थमने का नाम नहीं ले रहा है। गत वर्ष जीरा 28 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिका। इस वर्ष फसल निकलने पर यह 23 हजार रुपए कीमत में बिका। 5 महीने बाद अब कीमत कम होकर 17 से 18 हजार रुपए हो गई है। अर्श से फर्श तक पहुंची कीमतों पर किसानों, स्टाकिस्ट व्यापारियों की रातों की नींद उड़ गई है।
जानकारी अनुसार खाड़ी, यूरोपीय देशों में जीरा की अधिक मांग रहती है। मसाला प्रयोग के साथ इसका तेल निकाल कर विभिन्न औषधीय बनाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से सूडान, सीरिया आदि देश इन देशों को जीरा की आपूर्ति कर रहे हैं। इससे मांग बहुत कम हो गई है। हालत यह है निरंतर कम होती कीमतों पर अब व्यापारी माल खरीदने को तैयार नहीं है। इससे किसान, व्यापारी बड़े संकट में पड़ गए हैं।
अच्छे भावों के इंतजार में स्टॉक कर बैठे किसानों की हालत बहुत खराब है। अच्छी कीमत मिलने को लेकर इन्होंने 1000 प्रति किलो से अधिक महंगे कीमत में बीज खरीद बुवाई की। महंगी दवाईयों का छिड़काव किया। खेती पर लाखों खर्च किए। अब फसल के नहीं बिकने पर किसान कर्ज लेकर पारिवारिक, सामाजिक व जिमेदारियां निभा रहे तो खेती कार्य कर रहे हैं। इससे इनके सामने आगे कुआं पीछे खाई सी स्थिति हो गई है।
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अच्छी कीमत मिलने को लेकर जीरा की बुवाई की। फसल के लिए लाखों रुपए खर्च किए। इस वर्ष फसल निकलने से अब तक प्रति क्विंटल कीमत 5 हजार रुपए की बड़ी कमी हुई है। निरंतर कीमत कम होने पर व्यापारी फसल नहीं खरीद रहे हैं। इससे हालत बहुत खराब हो रखी है।
हनुमानसिंह राजपुरोहित, किसान
जीरा की कीमतों में गिरावट थम नहीं रही है। इससे किसान बहुत परेशान हैं। फसल नहीं बिकने पर लोगों का पैसा चुकाना भी मुश्किल हो गया। वहीं अन्य कार्य के लिए उधार पर पैसे लेने पड़ रहे हैं। सरकार कोई हल निकाले। इससे कुछ मदद मिले।
खाड़ी, यूरोपीय देशों में अब सीरिया सूडान आदि देश जीरा की आपूर्ति करते हैं। इससे भारत के जीरे की मांग बेहद कम होने से कीमतों में गिरावट हो रही है।
Updated on:
07 Aug 2025 04:36 pm
Published on:
07 Aug 2025 04:35 pm