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बाड़मेर/धनाऊ। सड़क पर दौड़ते वाहनों की आवाज तो रोज गूंजती है, लेकिन 13 नवंबर की दोपहर धनाऊ-आलमसर मार्ग पर जो चीख उठी, उसने एक परिवार का पूरा भविष्य ही छीन लिया। महज 17 साल का रहमतुल्लाह पांच भाइयों में सबसे बड़ा था। परिजनों के अनुसार रहमतुल्लाह परिवार का सबसे बड़ा बेटा था।
पिता बीमार रहते हैं, इसलिए घर की कई जिम्मेदारियां वही उठाता था। पिता के लिए दवाई लेने जा रहा था, किसे पता था कि यही यात्रा उसके जीवन की अंतिम यात्रा बन जाएगी। गांव में हर आंख नम है, और परिवार इस सदमे से उबर नहीं पा रहा। परिजन का रो-रोकर बुरा हाल है।
वह बस में बैठकर बाड़मेर जा रहा था। पिता की दवाई लेनी थी, इसलिए जल्दी-जल्दी घर से निकला। प्राइवेट बस की आखिरी सीट पर बैठ गया। रास्ते में थूकने के लिए जैसे ही उसने सिर खिड़की से बाहर निकाला, जिंदगी का पहिया अचानक रुक गया।
सामने से आ रही सरकारी पशु एम्बुलेंस की टक्कर लगते ही उसका सिर धड़ से अलग होकर करीब सौ फीट दूर जा गिरा। चीखें, अफरा-तफरी और फिर खामोशी, कुछ ही पलों में पूरा माहौल बदल गया। बस में सवार लोग यह हादसा देख सदमे में आ गए। सवारियाें की चीख निकल गई।
सूचना पर धनाऊ थानाधिकारी गोविंदराम टीम सहित मौके पर पहुंचे। पुलिस ने बस और एम्बुलेंस दोनों को जब्त कर जांच शुरू कर दी है। उनकी मानें तो हादसा अचानक हुआ, लेकिन इसमें वाहनों की लापरवाही की बारीकी से जांच की जा रही है।
सड़क पर एक छोटी-सी लापरवाही भी पूरी जिंदगी बदल देती है। धनाऊ जैसी घटनाएं हमें बार-बार याद दिलाती हैं कि सुरक्षित घर लौटना तभी संभव है, जब हम सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों का ईमानदारी से पालन करें। चलती बस में खिड़की से सिर या हाथ बाहर नहीं निकालें, ओवरटेक हमेशा सावधानी से करें। बस, कार, ट्रक, डंपर चालकों सहित दुपहिया वाहन सवारों को भी गति व सुरक्षित दूरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नियम कोई बोझ नहीं, बल्कि हमारी और हमारे परिवार की ढाल हैं। सड़क पर अनुशासन ही जीवन की सबसे बड़ी सुरक्षा है।
Updated on:
15 Nov 2025 02:58 pm
Published on:
15 Nov 2025 02:39 pm
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