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बॉर्डर पर कई साल से बंद हैं रेलवे के ये चार स्टेशन, कभी यहां रुकती थी ट्रेनें, आज हो गए खंडहर

बाड़मेर-मुनाबाव के बीच लंबे समय से बंद पड़े हैं खड़ीन, तामलोर, लीलमा, जैसिंधर रेलवे स्टेशन

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बाड़मेर और मुनाबाव के बीच वीरान पड़ा लीलमा रेलवे स्टेशन।

गडरारोड (बाड़मेर). अमृत भारत योजना के अंतर्गत देश के अंतिम सरहदी रेलवे लाइन बाड़मेर से मुनाबाव के बीच रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प हो रहा है। अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ नए स्टेशन भवन का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में बॉर्डर के रेलवे स्टेशन खड़ीन, तामलोर, लीलमा, जैसिंधर स्टेशन जो अभी पूरी तरह खंडहर, उजाड़ हो गए हैं, इनको भी अमृत भारत योजना में शामिल करने की जरूरत है। खड़ीन और तामलोर में रेल का ठहराव भी बंद है। भारत-पाक सीमा के नजदीक यह भवन सुरक्षा की दृष्टि से भी जोखिम भरे साबित हो सकते हैं।

पहले हुआ था पलायन, अब विकास:
पूर्व विधायक हरीसिंह सोढ़ा बताते हैं कि आजादी से पूर्व बने इन रेलवे स्टेशनों के आसपास घनी आबादी थी। व्यापारिक बाजार भी चलते थे, बीच के कालखंड में भारत-पाक विभाजन, 1965,71 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और लगातार अकाल की विभीषिका के कारण कई लोग यहां से पलायन कर गए। लेकिन बाद में धीरे धीरे परिस्थितियां अनुकूल होने लगी। क्षेत्र में भूगर्भीय परिवर्तन गडरारोड़ के आसपास अथाह जल भंडार मिला और ट्यूबवेल से सिंचाई होने लगी। वहीं केंद्र-राज्य सरकार के बेहतर विकास योजनाओं से लोगों का पलायन रुका कई लोग वापस आकर बसने लगे। आबादी विस्तार के बाद ढाणी से गांव, गांव से बड़े कस्बे, शहर बन गए हैं।

युवा बेरोजगार टिकट बेचने को तैयार
जिला सरपंच संघ अध्यक्ष हिन्दूसिह तामलोर ने बताया कि यदि रेलवे प्रशासन अनुमति प्रदान करे तो आबादी गावों के पास खड़ीन, तामलोर व जैसिन्धर गाव मे ग्राम पंचायत की ओर से भवन (रेल स्टेशन) व टिकट विक्रय के लिए युवा बेरोजगार उपलब्ध करवाने को तैयार है। पुराने समय से बंद इन स्टेशनों पुन: प्रारंभ किया जाना आम ग्रामीण जनता के हित में है। स्थानीय गांव के ग्रामीण युवा बेरोजगार टिकट संग्रह टिकट बेचने के लिए भी तैयार है। ऐसे में भारत सरकार को इन बंद रेलवे स्टेशनों को पुनर्जीवित कर प्रारंभ किया जाना चाहिए।वर्तमान में रेल के करीब होते हुए भी यह ग्रामीण इस सुविधा से वंचित है।

ग्रामीणों को मिलेगा रेल सुविधा का फायदा
प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत सभी गांव ढाणी जुड़ गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में हुए विकास कार्य, सुविधाओं में विस्तार होने से लोगों का पलायन रुक गया हैं। ऐसे में अब रेलवे को भी सभी बंद रेलवे स्टेशन पुन: शुरू करके ग्रामीणों को रेल के दो फेरों का लाभ उन्हें भी दिया जाना चाहिए। वर्तमान में यह स्टेशन आबादी गांव से एक- दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, ऐसे में आबादी क्षेत्र के पास नए स्टेशनों का निर्माण किया जा सकता है।