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सैनिकों की भावना का अपमान, ऐसे अफसर की सेना में जगह नहीं

सुप्रीम कोर्ट: गुरुद्वारा जाने से इनकार पर ईसाई अफसर की बर्खास्तगी बरकरार

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भारत

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ANUJ SHARMA

Nov 26, 2025

deva pardesi murder case supreme court CBI mp police delayed arrests

Supreme Court reprimands mp government in deva pardesi murder case (फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेना के एक अधिकारी की सेना से बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए कड़ी फटकार लगाई कि सैनिकों की धार्मिक भावना का अपमान करने वाले अफसर के लिए सैन्य बल में कोई जगह नहीं। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक कार्यक्रम में शामिल न होकर अफसर ने अपने नेतृत्व में मौजूद जवानों की धार्मिक भावना का अपमान किया जबकि एक कमांडर के रूप में उन्हें उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए था। चीफ जस्टिस (सीजेआइ) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने लेफि्टनेंट सैमुअल कमलेसन की अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणियां की।अपीलार्थी के वकील शंकरनारायणन ने कहा कि कमलेसन उत्कृष्ट अधिकारी हैं और सिर्फ एक कारण से उन्हें सेना से बर्खास्त कर दिया गया जबकि धार्मिक स्वतंत्रता का उन्हें मौलिक अधिकार है। सीजेआइ सूर्यकांत ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि आप भले ही 100 मामलों में उत्कृष्ट हों, लेकिन भारतीय सेना अपने धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है। आप अपने सैनिकों की भावनाओं का सम्मान करने में विफल रहे हैं। धार्मिक अहंकार इतना अधिक है कि आपको दूसरों की परवाह नहीं है। आप सेना के लिए मिसफिट हैं।

यह था मामला

कमलेसन कैवलरी रेजिमेंट में सिख कर्मियों वाली स्क्वाड्रन बी के ट्रूप लीडर थे। उन पर वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश के बावजूद साप्ताहिक धार्मिक परेड के तहत गुरुद्वारा जाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि ईसाई एकेश्वरवादी धर्म का पालन करने के कारण उसका धर्म दूसरे धर्म के धार्मिकस्थल में जाने की अनुमति नहीं देता। इस अनुशासनहीनता के कारण कमलेसन को सेना से निकाल दिया गया था।


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