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‘ दूसरों को सेकंडों में गिरफ्तार, अपनों को क्यों बचा रही सीबीआइ’

सुप्रीम कोर्ट: मध्यप्रदेश में हिरासत में मौत के आरोपियों को गिरफ्तार न करने पर फटकार

भारत

ANUJ SHARMA

Sep 24, 2025

Supreme Court issues stern warning to PWD officers, fines Delhi government
दिल्ली सरकार पर भड़की सुप्रीम कोर्ट।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में युवक देवा पारधी की हिरासत में मौत को लेकर आरोपी दो पुलिसअधिकारियों संजीव सिंह मालवीय और उत्तम सिंह कुशवाहा को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर.महादेवन की बेंच ने पारधी की मां की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसा नहीं चल सकता। सीबीआइ छापे मारकर किसी को सेकंडों में गिरफ्तार कर लेती है और अपनों को कोर्ट के आदेश के बावजूद गिरफ्तार नहीं किया गया। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि लाचारी का बहाना न बनाएं, आपकी लाचारी में आरोपियों को बचाने की आड़ महसूस होती है। शीर्ष अदालत ने मध्यप्रदेश पुलिस की ओर से इस प्रकरण की जांच दबाने की आशंका पर मामले की जांच सीबीआइ को सौंपते हुए गत 15 मई को आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे और 90 दिन में मामले की जांच पूरी करने को कहा था। बेंच ने दो फरार पुलिस अधिकारियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। बेंच ने अगली सुनवाई 25 सितंबर को तय करते हुए जांच के लिए लिए जिम्मेदार अफसरों को हलफनामा देने के निर्देश दिए।

आप जानते हैं कि आरोपी कहां हैं

अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना सीबीआइ के रवैये पर काफी नाराज दिखीं। सीबीआइ के वकील के यह कहने पर कि मामले में चालान पेश कर दिया गया है और फरार दो पुलिसकर्मियों की संपत्ति कुर्क करने के लिए अर्जी लगाई गई, जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि फरार होने का मतलब है बचाना। यही मतलब आप कहना चाहते हैं। आप जानते हैं कि वे कहां हैं। आप उन्हें बचा रहे हैं । जस्टिस महादेवन ने स्थिति को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

चेतावनी...प्रत्यक्षदर्शी के साथ कुछ हुआ तो छोड़ेंगे नहीं

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि हिरासत में मौत के बाद शिकायत करने पर मृतक देवा पारधी के चाचा गंगाराम और मामले के एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी को विभिन्न मामलों में गिरफ्तार कर जेल में रखा गया है और प्रताडि़त किया जा रहा है। याचिकाकर्ता के वकील की ओर से गंगाराम की जान को खतरा बताने पर बेंच ने चेतावनी दी कि प्रत्यक्षदर्शी के साथ कुछ भी अप्रिय व अनहोनी हुई तो वह छोड़ेंगे नहीं और एजेंसी को जवाबदेह ठहराया जाएगा। बेंच ने कहा कि अधिकारियों को यह सूचित कर गंगाराम की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।