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टूटी छत, गंदगी और अव्यवस्था: हाईकोर्ट निर्देशों के बावजूद मुक्तिधाम बेहाल, सदन में भी उठा था मुद्दा

High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने मुक्तिधाम की स्थिति में सुधार के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि समानजनक मृत्यु और दाह संस्कार का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों में शामिल है।

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हाईकोर्ट (फोटो-पत्रिका)

हाईकोर्ट (फोटो-पत्रिका)

CG High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने मुक्तिधाम की स्थिति में सुधार के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि समानजनक मृत्यु और दाह संस्कार का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों में शामिल है। इसके बाद भी नगर निगम, भिलाई-चरोदा के अधिकारी हरकत में नहीं आए हैं। चरोदा के मुक्तिधाम में बदहाली का आलम है। करीब दो साल से अंत्येष्टि जिस शेड के नीचे की जाती है, उसकी छत में लगा शीट टूट हुआ है। इसकी वजह से चिता में पानी टपकता है। दो साल में एक शीट तक निगम के अधिकारी बदल नहीं पाए हैं।

सफाई व्यवस्था भी चौपट

हाईकोर्ट ने कहा है कि मुक्तिधाम से कचरा, खरपतवार, जमा हुआ पानी हटाया जाए। यहां जंगली झाड़ियों से मुक्तिधाम पट गया है। सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। मुखाग्नि देने के दौरान नहाने की रस्म भी अदा की जाती है। यहां जिस जगह नहाने की व्यवस्था की गई है, वहां प्लास्टर टूट-टूट कर गिर रहा है।

सदन में उठा था मामला

इस विषय को उप नेताप्रतिपक्ष चंद्रप्रकाश पांडेय ने सामान्य सभा में उठाया था। तब महापौर निर्मल कोसरे, ने भी मुक्तिधाम को बेहतर करने के लिए अपनी निधि से पहल करने की बात कही थी। निगम अधिकारियों ने भी आश्वासन दिया था। सालभर हो गए, अब तक कोई सुधार नहीं हुआ।

यह दिया गया है निर्देश

नगर निगम, अंत्येष्टि स्थल पर तत्काल व्यापक स्वच्छता अभियान चलाए। मुक्तिधाम से कचरा, खरपतवार, जमा पानी, अन्य अपशिष्ट पदार्थों को हटवाएं। बुनियादी ढांचे की मरमत करें। श्मशान में दफन के लिए एक रजिस्टर (डिजिटल या मैनुअल) रखा जाए। एक हेल्प लाइन नंबर व शिकायत निवारण तंत्र प्रदर्शित किया जाए।