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भाजपा की नई प्रदेश टीम में भीलवाड़ा नजर अंदाज

- छह विधायक और सांसद होने के बावजूद नहीं मिला स्थान, राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज प्रदेश महामंत्री रहे सांसद अग्रवाल को किया दरकिनार, 'उपेक्षा' पर कार्यकर्ताओं में मायूसी

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Bhilwara ignored in BJP's new state team

Bhilwara ignored in BJP's new state team

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। घोषणा ने भीलवाड़ा जिले के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। प्रदेश टीम में भीलवाड़ा के किसी भी कार्यकर्ता को स्थान नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। यह भी माना जा रहा है कि आपसी गुटबाजी के चलते भीलवाडा़ को महत्व नहीं मिला है। इससे जिले की भाजपा संगठन में उपेक्षा को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा है। जिले में भाजपा के छह विधायक हैं। इसके अतिरिक्त, भाजपा की विचारधारा से जुड़े भीलवाड़ा शहर के विधायक, भीलवाड़ा के सांसद, जिला प्रमुख और नगर निगम में महापौर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भाजपा काबिज है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल पिछली कार्यकारिणी में प्रदेश महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर थे, लेकिन उन्हें भी नई 34 सदस्यीय पदाधिकारियों की सूची में तरजीह नहीं मिली है।

राठौड़ का दूसरा कार्यकाल, पदाधिकारियों की घोषणा

प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ का यह दूसरा कार्यकाल है। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की कार्यकारिणी को यथावत रखा था। अब घोषित की गई प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों की नई सूची में 11 पुराने चेहरों को पुन: मौका दिया है। हालांकि, भीलवाड़ा जैसे महत्वपूर्ण जिले को दरकिनार करने की रणनीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिले के सशक्त प्रतिनिधित्व को संगठन में जगह न मिलना एक बड़ी उपेक्षा है। इसके पीछे मुख्य कारण जिलाध्यक्ष के समय पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आना माना भी जा रहा है।

यह जताई जा रही संभावना

भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में अग्रवाल या अन्य को जगह नहीं मिलने के पीछे कई संभावित राजनीतिक कारण माने जा रहे हैं। भाजपा संगठन में अक्सर यह नीति अपनाई जाती है कि एक व्यक्ति के पास एक ही प्रमुख पद हो। अग्रवाल सांसद हैं और लोकसभा में उन्हें पार्टी का सचेतक भी नियुक्त किया है। यह महत्वपूर्ण संवैधानिक और संसदीय दायित्व मिलने के बाद, पार्टी ने उन्हें प्रदेश संगठन के पद (महामंत्री) से मुक्त कर दिया। अग्रवाल को जगह नहीं मिलने के पीछे यह कारण माने जा रहे है। साथ ही राठौड़ ने नई कार्यकारिणी में नए चेहरों को मौका देना संगठन की एक सामान्य प्रक्रिया भी मानी जा रही है। प्रदेश कार्यकारिणी में जातीय, क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन को भी महत्व दिया है।